घोड़ा कटोरा ताल-4, घोड़ा कटोरा से वापसी (Ghoda Katora Taal-4: Retrun from Ghoda Katora Taal)
घोड़ा कटोरा ताल (राजगृह या राजगीर, नालंदा, बिहार) : सुबह घर से चलकर यहां आते आते दोपहर हो चुकी थी और कुछ मिनट यहां गुजारने के बाद अब समय था यहां से वापसी का तो कुछ मीठी और सुनहरी यादें लेकर हम चल पड़े थे वापसी के उसी पथ पर जिससे होकर हम यहां तक आए थे। आते समय तो हम उन दोनों लड़कों के साथ आए थे पर वापसी मुझे अकेले ही जाना था क्योंकि वो दोनों लड़के बहुत पहले ही यहां से जा चुके थे। अगर वो रहते तो हमारा एक-दो अच्छा फोटो खींच देते पर अब सोचने का क्या फायदा वो तो जा चुके थे तो हमने खुद कभी अपने मोबाइल से तो कभी कैमरे से सेल्फी लेने की नाकाम सी कोशिश करते रहे और उन कोशिशों में ही एक अच्छी सी फोटो आ गई और अच्छी भी ऐसी कि जिसकी हमने उम्मीद भी नहीं की थी। फोटो-वोटो लेने के बाद हम चल पड़े उसी रास्ते पर जिस रास्ते से आए थे और ठीक 12.00 बजे हम फिर से पहाड़ के उसी कटे हुए भाग तक पहुंच चुके थे। वहां पहुंचकर झील से एक वादा किया कि एक बार और पुनः जल्दी ही आऊंगा और फिर उन कच्चे रास्तों पर धूल का गुब्बार उड़ाते हुए सुस्त कदमों से धीरे धीरे चल पड़े। आधे घंटे के सफर के बाद एक बार पुनः हम नदी के उस स्थान पर आ चुके थे जहां हम सुबह पानी से होकर गुजरे थे। वहां पहुंचकर हमने अपने कदमों को रोककर पहाड़ पर खड़े अजातशत्रु स्तूप को एक नजर देखा था, और मन में सोचा था कि यहां भी हो लेते हैं पर समय और शरीर दोनों हमें इस काम की इजाजत नहीं दे रहे थे तो हमने जल्दी ही दुबारा आने का वादा किया और फिर फिर नदी को पार करके गिरियक बाजार की तरफ बढ़ चले।