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Sunday, December 15, 2019

घोड़ा कटोरा ताल-4, घोड़ा कटोरा से वापसी (Ghoda Katora Taal-4: Retrun from Ghoda Katora Taal)

घोड़ा कटोरा ताल-4, घोड़ा कटोरा से वापसी (Ghoda Katora Taal-4: Retrun from Ghoda Katora Taal)




घोड़ा कटोरा ताल (राजगृह या राजगीर, नालंदा, बिहार) : सुबह घर से चलकर यहां आते आते दोपहर हो चुकी थी और कुछ मिनट यहां गुजारने के बाद अब समय था यहां से वापसी का तो कुछ मीठी और सुनहरी यादें लेकर हम चल पड़े थे वापसी के उसी पथ पर जिससे होकर हम यहां तक आए थे। आते समय तो हम उन दोनों लड़कों के साथ आए थे पर वापसी मुझे अकेले ही जाना था क्योंकि वो दोनों लड़के बहुत पहले ही यहां से जा चुके थे। अगर वो रहते तो हमारा एक-दो अच्छा फोटो खींच देते पर अब सोचने का क्या फायदा वो तो जा चुके थे तो हमने खुद कभी अपने मोबाइल से तो कभी कैमरे से सेल्फी लेने की नाकाम सी कोशिश करते रहे और उन कोशिशों में ही एक अच्छी सी फोटो आ गई और अच्छी भी ऐसी कि जिसकी हमने उम्मीद भी नहीं की थी। फोटो-वोटो लेने के बाद हम चल पड़े उसी रास्ते पर जिस रास्ते से आए थे और ठीक 12.00 बजे हम फिर से पहाड़ के उसी कटे हुए भाग तक पहुंच चुके थे। वहां पहुंचकर झील से एक वादा किया कि एक बार और पुनः जल्दी ही आऊंगा और फिर उन कच्चे रास्तों पर धूल का गुब्बार उड़ाते हुए सुस्त कदमों से धीरे धीरे चल पड़े। आधे घंटे के सफर के बाद एक बार पुनः हम नदी के उस स्थान पर आ चुके थे जहां हम सुबह पानी से होकर गुजरे थे। वहां पहुंचकर हमने अपने कदमों को रोककर पहाड़ पर खड़े अजातशत्रु स्तूप को एक नजर देखा था, और मन में सोचा था कि यहां भी हो लेते हैं पर समय और शरीर दोनों हमें इस काम की इजाजत नहीं दे रहे थे तो हमने जल्दी ही दुबारा आने का वादा किया और फिर फिर नदी को पार करके गिरियक बाजार की तरफ बढ़ चले।

Saturday, December 14, 2019

घोड़ा कटोरा ताल-3: घोड़ा कटोरा और मैं (Ghoda Katora Taal-3, Ghoda Katora Taal aur Main)

घोड़ा कटोरा ताल-3: घोड़ा कटोरा और मैं (Ghoda Katora Taal-3: Ghoda Katora Taal aur Main)




घोड़ा कटोरा ताल (राजगृह या राजगीर, नालंदा, बिहार) : मेरे प्यारे घोड़ा कटोरा, जब हमने तेरे बारे में सुना था तो लगा था कि तुम गांव की तलैया जैसे होगे, फिर किसी ने बताया था कि नहीं वो तलैया के जैसा न होकर अपने गांव की नदिया के जैसा है। फिर गया था तुमको देखने पर न जाने क्यों नहीं पहुंच पाया था तेरे पास, या तो तुम मुझसे रूठे थे और मुझसे मिलना नहीं चाहते थे या फिर मेरे मन में ही तुमसे मिलन की लालसा नहीं थी। अपने घर की छत के कोने से तेरे चारों तरफ फैले पहाड़ों को देख कर सोचा करता था कि पता नहीं कैसे तुम अकेले इन पहाड़ों के बीच में रहते होगे, पर मुझे क्या पता था कि ये पहाड़ ही हैं जो तुम्हारी रक्षा के लिए चारों तरफ तुमको घेरे खड़े हैं और तुम उनके बीच बिल्कुल सुरक्षित हो। फिर न जाने कितनी बार, अनगिनत बार, तेरे किनारे से गुजर गया, पर न तो तुमने मुझे बुलाया न ही मैं तुम्हारे पास गया, न तो तुमने मेरी तरफ नजर किया और न ही मैंने तुमसे नजर मिलाया और बस तेरे किनारे से आते और जाते रहे; और गुजरते समयांतराल के बाद मैं भी तुमको भूल गया और तुमने भी मुझे भुला दिया।

Friday, December 13, 2019

घोड़ा कटोरा ताल-2: गिरियक से घोड़ा कटोरा ताल (Ghoda Katora Taal-2: Giriyak to Ghoda Katora Taal)

घोड़ा कटोरा ताल-2: गिरियक से घोड़ा कटोरा ताल (Ghoda Katora Taal-2: Giriyak to Ghoda Katora Taal)




घोड़ा कटोरा ताल (राजगृह या राजगीर, नालंदा, बिहार) : हम अपने गांव से चलकर गिरियक पहुंचे और वहां एक दुकान वाले से घोड़ा कटोरा तक जाने का रास्ता पूछा तो उन्होंने दो रास्ते बताए, एक तो सीधा नदी पार करके और दूसरा अगर नदी पार करना नहीं चाहते हैं तो 3 किलोमीटर घूम कर जाने वाला रास्ता जहां नदी पर पुल बना है, पर पुल वाला रास्ता भी आगे बढ़कर यहीं नदी के रास्ते में ही मिलता है। अब केवल पानी में पार होने से बचने के लिए 3 किलोमीटर का लंबा रास्ता कौन तय करे और वैसे भी नदी के पानी में पार हुए बहुत दिन हो गए हैं क्योंकि अब अधिकतर जगहों पर पुलों का निर्माण हो गया है तो नदी से गुजरने का मौका भी नहीं मिलता है और आज ये मौका मिल रहा था तो हम इस मौके को गंवाना नहीं चाहते थे और चल पड़े थे पानी वाले नदी को नदी पार करने। उन्होंने हमें जो रास्ता बताया था हम उसी ओर आहिस्ता आहिस्ता बढ़ने लगे। गली से चलते हुए नदी तक पहुंचने में हमें करीब 20 मिनट का समय लगा। वहां देखा तो कुछ लोग नदी पार कर रहे हैं तो हम भी उनके पीछे हो लिए। नदी पार करते ही एक सज्जन ने बताया कि आगे अभी और एक जगह पार करना पड़ेगा और सवाल भी शुरू किया कि 

Thursday, December 12, 2019

घोड़ा कटोरा ताल-1: घोड़ा कटोरा ताल की ओर (Ghoda Katora Taal-1: Towards Ghoda Katora Taal)

घोड़ा कटोरा ताल-1: घोड़ा कटोरा ताल की ओर (Ghoda Katora Taal-1: Towards Ghoda Katora Taal)



घोड़ा कटोरा ताल (राजगृह या राजगीर, नालंदा, बिहार) : आइए हम आपको इस बार एक प्राकृतिक झील की सैर पर ले चलते हैं, जो 2500 साल से भी ज्यादा पुरानी है और यह स्थान बिहार के नालंदा जिले में राजगीर और गिरियक के मध्य पहाडि़यों के बीच स्थित है और इसका नाम है घोड़ा कटोरा ताल। यहां तक पहुंचने के दो रास्ते हैं। एक रास्ता राजगीर विश्व शांति स्तूप तक जाने वाले रोपवे के पास से है और दूसरा रास्ता गिरियक से है। गिरियक पटना-रांची राजमार्ग पर बिहार शरीफ से रांची की ओर जाने पर बिहार शरीफ से 18 किलोमीटर दूरी पर स्थित है जो जानवरों के हाट के लिए प्रसिद्ध है। राजगीर वाले रास्ते से इस झील की दूरी 6 किलोमीटर है, वैसे कहते हैं कि 6 किलोमीटर है लेकिन है 7 किलोमीटर और साधन के रूप में या तो आपको पैदल जाना पड़ेगा या टमटम (घोड़ा गाड़ी) से। पक्षी अभयारण्य क्षेत्र होने के कारण यहां मोटर गाड़ी पूरी तरह से प्रतिबंधित है। गिरियक वाले रास्ते से भी दूरी करीब 5-6 किलोमीटर है और जाने का साधन कच्ची सड़कों पर मलंग फकीर बनकर धूल उड़ाते हुए चलना। वैसे पारंपरिक रास्ता राजगीर से ही है, गिरियक वाला रास्ता तो हम जैसे भटकटैया लोगों के लिए है कि वीराने में भटकते हुए चलते चले जाएं।