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Tuesday, April 23, 2019

रेगिस्तान की एक सुबह (A morning of Sand Dunes)

रेगिस्तान की एक सुबह (A morning of Sand Dunes)




16 दिसम्बर की सुबह जैसलमेर की रेगिस्तानी वादियों में आपके सभी साथी अपने अपने तबेले में ऊंट बेच कर सो रहे हों। चारों तरफ सन्नाटा हो, अगर कुछ सुनाई पड़ रहा हो तो अगल-बगल के टेंटों से एक-दो मानवीय ट्रेक्टरों की आवाज। आप भी जागते हैं और रजाई से बाहर आते ही ऐसा लगता है जैसे ठंड काटने को दौड़ रहा है और आप फिर से रजाई में दुबके जाते हैं और याद आता है कि अरे हमने तो पांच बजे सबको जगाने का वादा किया है फिर थोड़ा हां थोड़ा ना करते हुए आप 4 से 5 डिग्री के तापमान में भी रजाई को फेंक कर बाहर निकलते हैं।