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Tuesday, August 28, 2018

उज्जैन-ओंकारेश्वर यात्रा-10: ओंकारेश्वर से देवास (Omakareshwar to Dewas)

उज्जैन-ओंकारेश्वर यात्रा-10: ओंकारेश्वर से देवास
(Omakareshwar to Dewas)





सुबह इंदौर से चलकर ओंकारेश्वर पहुंचना और तत्पश्चात् नर्मदा में स्नान करने के बाद मंदिर में भगवान भोलेनाथ के दर्शन करते करते दोपहर से ज्यादा का समय बीत चुका था। मंदिर में दर्शन के उपरांत कहां जाएं, कहां न जाएं की उहापोह वाली स्थिति उत्पन्न हो गई थी। तभी नदी के उसी तरफ से दिखाई देते एक बहुत बड़े शिव प्रतिमा को देखने की ललक से परिक्रमा पथ पर घूमने का मौका मिला। इस दौरान एक साथ कई कार्य हो गए थे। जैसे कि शिव प्रतिमा के दर्शन के साथ-साथ बहुत से पौराणिक और ऐतिहासिक स्थलों, मंदिरों और आश्रमों को देखने का मौका मिला। पूरे रास्ते नर्मदा, पहाड़, हरियाली, मंदिरों और पौराणिक स्थलों के अवशेष, पक्षियों का कलरव, बंदरों की धमाचैकड़ी ने उस समय का आनंद लेने का भरपूर मौका दिया था। हमने 1 बजे परिक्रमा आरंभ किया था और करीब 4ः30 बजे तक परिक्रमा पथ की परिक्रमा पूर्ण करके फिर से मंदिर तक आ गए थे। यहां पहुंचकर एक बार फिर से अपने भगवान भोले नाथ को प्रणाम करते हुए आगे के सफर पर निकल पड़ा। हमारी योजना ओंकारेश्वर से महेश्वर जाने की थी पर होनी को कुछ और ही मंजूर था और हम चले थे महेश्वर के लिए और पहुंच गए कहीं और। वो कहते हैं न कि दुनिया गोल है जहां से आप चलेंगे वहीं पहुंच जाएंगे और मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ। चलिए हम आपने साथ आपको उसी जगह पर ले चलते हैं, जहां फिर से कल ही की तरह उसी शहर में आभासी दुनिया के अनजान लोगों का मिलन था, जहां एक अपनापन था, प्यार और स्नेह था।

Monday, August 20, 2018

उज्जैन-ओंकारेश्वर यात्रा-9 : ओंकारेश्वर परिक्रमा पथ (Omakareshwar Parikarma Path)

उज्जैन-ओंकारेश्वर यात्रा-9 : ओंकारेश्वर परिक्रमा पथ (Omakareshwar Parikarma Path)



ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करते करते 12 बज चुके थे। दर्शन के पश्चात मंदिर से निकल कर उसी दुकान पर पहुंचे जहां से हमने प्रसाद लिया था और अपना बैग रखा था। दुकान वाले को प्रसाद के पैसे देकर अपना बैग वापस लिया और कुछ देर मंदिर के पास पसरे बाजार में यहां वहां घूमते रहे। दोपहर से ज्यादा का समय बीत चुका था और अब तक भूख भी सताने लगी थी तो हमने वहीं पटरी पर बिक रहे खाने की चीजों में से कुछ चीजें खरीद कर और वहीं किनारे बैठ कर खा लिया और तत्पश्चात ये सोचने लगे कि अब यहां से कहां जाया क्योंकि मंदिर में देवता के दर्शन तो हो गए और यहां कुछ दिख नहीं रहा जहां जाया जा सके, तभी अचानक ध्यान आया कि नदी के उस पार टेम्पो से उतरते ही एक बहुत ही बड़ी शिव प्रतिमा दिख रही थी वो तो हमने देखा ही नहीं। फिर वहीं पास ही एक दुकान वाले से पूछा कि भाई ये बताएं कि नदी के उस तरफ से एक बहत ही बड़ी शिव की प्रतिमा दिखाई देती है वो कहां पर है मुझे उसे देखना है। दुकान वाले ने बताया कि वो प्रतिमा परिक्रमापथ पर स्थित है जो कि यहां से करीब 4 किलोमीटर है। मैंने उनसे रास्ता पूछा तो उन्हांेने कुछ लोगों की इशारा करके बताया कि वो सब लोग जिधर जा रहे हैं वो ही परिक्रमा पथ और सब उधर ही जा रहे हैं। फिर हमने उनसे कुछ और जानकारियां ली कि कुल दूरी कितनी है परिक्रमा पथ की और समय कितना लग जाएगा तो उन्होंने जवाब दिया कि कुल दूरी 7 से 8 किलोमीटर के करीब है और समय अपने-अपने चलने की क्षमता पर निर्भर करता है लेकिन फिर भी लोग 3 से 4 घंटे में आ ही जाते हैं। मैंने घड़ी देखा तो एक बजने में कुछ समय बाकी था मतलब कि हम अभी चलें तो चार बजे तक वापस आ सकते हैं।

Monday, August 13, 2018

उज्जैन-ओंकारेश्वर यात्रा-8 : ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग दर्शन (Omkareshwar Jyotirling)

उज्जैन-ओंकारेश्वर यात्रा-8 : ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग दर्शन 
(Omkareshwar Jyotirling)


सुबह सात बजे इंदौर से चलकर ओंकारेश्वर पहुंचते-पहुंचते करीब दस बज चुके थे। करीब करीब दस बजे या यों भी कह लीजिए कि ठीक दस बजे मैं ओंकोरश्वर पहुंच चुका था। ओंकारावर में बस स्टेशन से मंदिर और घाट की दूरी करीब दो से तीन तीन किलोमीटर है और बस स्टेशन से घाट (मंदिर) तक जाने के लिए आॅटो चलती है। मुझे भी बस से उतरते ही एक आॅटो मिल गई। सवारियां पूरी होने के बाद आॅटो चली और करीब दस मिनट में वहां पहुंच गए जहां जाने के लिए आए थे। इंदौर से चलकर यहां तक के सफर में करीब तीन घंटे से ज्यादा लगे और समय भी साढ़े दस हो गया था। यहां उतरते ही पहले तो दुकान वाले पीछे पड़ने लगे कि मेरे यहां से प्रसाद ले लीजिए और सामान रख दीजिए और शाम तक आप कभी भी आकर अपना सामान ले जाइएगा। पर हमने अपना सामान कहीं नहीं रखा और सीधे नर्मदा घाट पर पहुंच गए और नहाने के लिए ऐसे जगह की तलाश करने लगे कि जहां पर सामान रखकर आराम से नहा सकें।

Friday, August 3, 2018

उज्जैन-ओंकारेश्वर यात्रा-7 : इंदौर से ओंकारेश्वर (Indore to Omkareshwar)

उज्जैन-ओंकारेश्वर यात्रा-7 : इंदौर से ओंकारेश्वर 
(Indore to Omkareshwar)



अब तक के पिछले भागों में आपने पढ़ा कि किस तरह मैं उज्जैन के दर्शनीय स्थानों महाकालेश्वर मंदिर, विक्रमादित्य का टीला, हरसिद्धी मंदिर, भतृहरि गुफा, गढ़कालिका मंदिर, कालभैरव मंदिर, सिद्धवट मंदिर, मंगलनाथ मंदिर और संदीपनी आश्रम आदि जगहों को देखने के बाद उज्जैन से इंदौर अपने घुमक्कड़ मित्र डाॅक्टर सुमीत शर्मा जी के यहां पहुंचा। उनके साथ वो प्यार भरी मुलाकात, अपने हाथों से परोसा कर खाना खिलाना और साथ में इंदौर के बाजार में रात्रि भ्रमण। इंदौर का पूरा सर्राफा बाजार घूम लेने के बाद जब हमने कुछ नहीं खाया तो उनका ये कहना कि कोई और होता तो इतना खाता कि उसे चार आदमी उठा कर ले जाते, पर आपने पूरा सर्राफा बाजार घूम लिया और खाने-पीने के नाम पर केवल आधा गिलास दूध। बाजार भी ये सोच रहा होगा कि इस खाऊ-पकाऊ गली में केवल खाने-पीने वाले लोग आते है, ये पहला अजूबा आदमी आया है जिसने कुछ नहीं खाया। अब उनको क्या बताते कि आपने अपने हाथों से थोड़ा और थोड़ा और करके जितना खिला दिया वो क्या कम था जो अब और खाते। पेट में एक दाने के लिए जगह नहीं थी तो कैसे खाते। खैर ये तो हो गई कल की बात। अब आगे की बात करते हैं।

Sunday, June 17, 2018

उज्जैन-ओंकारेश्वर यात्रा-6 : मंगलनाथ मंदिर और संदीपनी आश्रम (Mangalnath Temple and Sandipani Ashram)

उज्जैन-ओंकारेश्वर यात्रा-6 : मंगलनाथ मंदिर और संदीपनी आश्रम (Mangalnath Temple and Sandipani Ashram) 








उज्जैन के दर्शनीय स्थानों के भ्रमण की श्रृंखला में महाकालेश्वर मंदिर, विक्रमादित्य का टीला, हरसिद्धी मंदिर, भतृहरि गुफा, गढ़कालिका मंदिर, कालभैरव मंदिर और सिद्धवट मंदिर जैसी जगहों को देखने के पश्चात आइए अब हम आपको मंगलनाथ मंदिर और संदीपनी आश्रम लेकर चलते हैं। सिद्धवट मंदिर में पुजारियों की बातों से दुखी और व्यथित होकर सिद्धवट मंदिर क्षेत्र से निकलने के पश्चात देवी को अर्पित करने के लिए मैंने जो फूल खरीदा था वो फूल मैंने दुकान वाले को ही वापस कर दिया और फूल के पैसे देकर चुपचाप उदास मन से आॅटों में आकर बैठ गया। आॅटो वाला मुझे फूल वापस करते हुए देख लिया था तो उसने झट पूछ बैठा कि क्या हुआ जो आपने फूल वापस कर दिया, ज्यादा भीड़ थी क्या? मैंने उसे सारी बातें बताई तो बोला कि इन पुजारियों का अब ये रोज का काम हो गया। यहां आने वाले आधे से ज्यादा लोग इसी तरह दुखी होकर जाते हैं। आपने तो फूल वापस लाकर दुकान वाले को दे दिया पर लोग वहीं मंदिर के आस-पास ही कहीं रख कर चले आते हैं। मैंने भी उदास मन से यही कहा कि चलिए जिनकी जो गति होनी है वो तो होगी ही हम श्रद्धालु लोग ही पागल हैं जो मंदिरों के चक्कर में यहां तक आते हैं। मेरी इस बात का उस आॅटो वाले ने बहुत ही भावुक जवाब दिया।

Sunday, February 25, 2018

उज्जैन-ओंकारेश्वर यात्रा-5 : कालभैरव मंदिर और सिद्धवट मंदिर (Kalbhairav Temple and Siddhvat Temple)

उज्जैन-ओंकारेश्वर यात्रा-5 : कालभैरव मंदिर और सिद्धवट मंदिर (Kalbhairav Temple and Siddhvat Temple)



उज्जैन के दर्शनीय स्थानों के भ्रमण की श्रृंखला में महाकालेश्वर मंदिर, विक्रमादित्य का टीला, हरसिद्धी मंदिर, भतृहरि गुफा और गढ़कालिका मंदिर जैसी जगहों को देखने के पश्चात आइए अब हम आपको कालभैरव मंदिर, सिद्धवट मंदिर, मंगलनाथ मंदिर और संदीपनी आश्रम लेकर चलते हैं। गढ़कालिका मंदिर में दर्शन के पश्चात आॅटो वाला हमें अगले पड़ाव की तरफ ले चला। हमारे ये पूछने पर कि अब यहां के बाद आप किस जगह पर ले चलेंगे तो उनका जवाब मिला कि अब हम पहले कालभैरव मंदिर जाएंगे उसके बाद सिद्धवट मंदिर। हम आॅटो वाले से बातें करते हुए चले जा रहे थे। करीब दस-पंद्रह मिनट के सफर के बाद दूर से ही एक मंदिर की तरफ इशारा करते हुए उन्होंने मुझे बताया कि वो मंदिर ही कालभैरव मंदिर है। साथ ही उन महाशय ने भी बताया कि यहां कालभैरव को प्रसाद के रूप में शराब चढ़ाया जाता है। मैंने उनसे कहा कि भाई मैं शराब नहीं पीता इसलिए मुझे शराब जैसी चीजों से कोई मतलब नहीं है। तब उन्होंने कहा कि आने वाला हर भक्त बाबा को शराब का भोग जरूर लगाता है इसलिए आप भी अपनी तरफ से बाबा को भोग लगा दीजिएगा। उनकी बातों पर मैंने कहा कि ठीक है भोग तो लगा देंगे पर हम उस भोग का करेंगे क्या क्योंकि मैं मदिरापान नहीं करता तो उन्होंने कहा कि कोई बात नहीं आप हमें दे दीजिएगा। ठीक है बोलकर मैं चुप रहना ही उचित समझा और चुप बैठ गया। ऐसे ही चलते हुए कुछ देर में हम मंदिर के पास पहुंच गए।

Wednesday, February 14, 2018

उज्जैन-ओंकारेश्वर यात्रा-4 : भतृहरि गुफा और गढ़कालिका मंदिर (Bharthari Gufa and Gadhkalika Temple)

उज्जैन-ओंकारेश्वर यात्रा-4 : भतृहरि गुफा और गढ़कालिका मंदिर (Bharthari Gufa and Gadhkalika Temple)



विक्रमादित्य का टीला देखने और हरसिद्धी मंदिर में दर्शन करने के बाद हम उज्जैन के कुछ प्रमुख दर्शनीय स्थानों (भतृहरि गुफा, गढ़कालिका मंदिर, कालभैरव मंदिर, सिद्धवट मंदिर, मंगलनाथ मंदिर और संदीपनी आश्रम) को देखने के लिए निकल पड़े। बड़ी मान-मनौती करने पर एक आॅटो वाला हमें इन जगहों पर घुमाने के लिए तैयार हो गया। मोल-तोल के बाद सौदा तय होने के बाद हम आॅटो में बैठ गए। मेरे आॅटो में बैठते ही उसने मेरे हाथ में एक कार्ड थमा दिया और खुद चाय पीने चला गया। मैंने कार्ड को उलट-पुट कर देखा तो एक तरफ किसी बड़े दुकान का विज्ञान छपा था और दूसरी तरफ उज्जैन के दर्शनीय स्थलों के नाम अंकित थे। कार्ड को देखने से ही पता चल रहा था कि दुकान वाले ने कार्ड छपवाकर आॅटो वालों को बांटा होगा कि इसी बहाने कुछ प्रचार-प्रसार हो जाएगा। पांच मिनट में ही आॅटो वाला भी अपनी चाय खत्म करके आ गया। उसके आते ही मैंने सबसे पहले उसे कहा कि भाई अब चलोगे या कुछ और बाकी है। जवाब मिला कि अब कुछ नहीं बस चलते हैं। इतना कहकर उसने आॅटो स्टार्ट किया और अपने मंजिल की तरफ बढ़ने लगा। अभी चले ही थे कि उसने अपने सवालों की बौछार आरंभ कर दिया कि कुछ खरीदना चाहते हैं, जैसे साड़ी, कपड़े, यहां की पुरानी चीजें आदि-आदि। मैंने उसे साफ मना कर दिया कि मैं कुछ खरीदने नहीं बस जगहों को देखने आया हूं। मेरी इन बातों को सुनते ही वो कुछ देर के लिए चुप हो गया।

Sunday, February 11, 2018

उज्जैन-ओंकारेश्वर यात्रा-3 : विक्रमादित्य का टीला और हरसिद्धी मंदिर (Vikrmaditya ka Teela and Harsiddhi Temple)

उज्जैन-ओंकारेश्वर यात्रा-3 : विक्रमादित्य का टीला और हरसिद्धी मंदिर (Vikrmaditya ka Teela and Harsiddhi Temple)



महाकालेश्वर मंदिर में भोलेनाथ के दर्शन के बाद आइए अब चलते हैं उज्जैन के अन्य दर्शनीय स्थानों का भ्रमण करते हैं। मंदिर में दर्शन, पूजा-पाठ आदि कार्यकलापों को पूरा करते-करते तीन बज चुके थे। स्थानीय लोगों से पूछने पर पता चला कि अन्य स्थानों पर जाने के लिए आॅटो हरसिद्धी मंदिर के पास बहुत ही आसानी से मिल जाएगी। रामघाट से यहां आते समय हमें हरसिद्धी मंदिर के दर्शन हुए थे इसलिए वहां तक के लिए किसी से रास्ते के बारे में पूछने की कोई आवश्यकता नहीं थी। अपनी आदत के अनुसार रास्ते में दाएं-बाएं निहारते हुए अपनी ही मस्ती में अकेला चला जा रहा था। अभी कुछ ही दूर गया था कि बाएं तरफ एक बड़ा सा दरवाजा दिखा। पहले तो मन में आया कि ऐसे ही कुछ होगा, पर नहीं पास जाने पर बोर्ड पर विक्रमादित्य का टीला लिखा हुआ दिख गया। विक्रमादित्य का नाम आते ही बचपन में विक्रम-वैताल की कहानियां याद आ गई और अब तक की पढ़ी गई सारी कहानियां दिमाग में ऐसे घूमने लगी जैसे अभी मेरे सामने से राजा विक्रमादित्य गुजर रहे हैं और उनके कंधे पर वो वैताल बैठ कर कहानी सुनाता हुआ जा रहा है। बचपन में जब उन कहानियों को पढ़ा करता था तो ये सोचा भी नहीं था कि हम कभी विक्रमादित्य की उस नगरी में जाएंगे जहां से ये कहानियां आरंभ हुई है।

Thursday, January 25, 2018

उज्जैन-ओंकारेश्वर यात्रा-2 : महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (Ujjain-Omkareshwar Journey-2: Mahakaleshwar Jyotirling)

उज्जैन-ओंकारेश्वर यात्रा-2 : महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (Ujjain-Omkareshwar Journey-2: Mahakaleshwar Jyotirling)



उज्जैन पहुंचते पहुंचते बारह बज चुके थे। गाड़ी के स्टेशन पहुंचते ही ट्रेन से उतर कर जल्दी से स्टेशन से बाहर गए। सड़क पर पहुंचते ही एक आॅटो मिल गई जो दस रुपए प्रति सवारी के हिसाब से लोगों को रामघाट तक ले जा रही थी। हम आॅटो में बैठे ही थे कि उसके तुरंत बाद मेरी ही उम्र का एक व्यक्ति और आया जो मेरे ही बगल में बैठ गया। जल्दी ही बातें होने लगी तो पता चला कि वो भी उज्जैन और ओंकारेश्वर घूमने के लिए आए हैं। हम दोनों ही इस शहर से अनजान थे, अतः एक दूसरे का साथ पाकर थोड़ी सी ये तो उम्मीद बंधी कि चलिए ज्यादा तो नहीं कम से कम रामघाट पर नहाने भर का साथ तो रहेगा ही। कुछ देर में ही आॅटो भी सवारियों से भर गई। आॅटो वाले ने आॅटो को स्टार्ट किया और रामघाट की तरफ चल दिया। अभी आधे ही दूर गए थे कि सभी सवारियां उतर गई। अब आॅटो में केवल हम दो लोग ही बैठे रह गए थे। सभी सवारियों के उतरने के बाद आॅटो वाला पहले तो हमें आधे रास्ते में उतारने की कोशिश करने लगा, पर हमने साफ कहा कि भाई रामघाट बोलकर आॅटो में बैठाए हो और हम रामघाट पर ही उतरेंगे अगर रामघाट नहीं पहुंचा सकते तो मुझे वापस स्टेशन ही पहुंचा दो और उस बाद के कोई पैसे नहीं मिलेंगे, तो न चाहते हुए भी आॅटो वाले ने आधे मन से हमें रामघाट तक पहुंचाया।