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Monday, November 25, 2019

बदरीनाथ यात्रा-2 : वो 30 मिनट और गंगा स्नान (Wo 30 minutes aur Ganga Snan)

दरीनाथ यात्रा-2 : वो 30 मिनट और गंगा स्नान (Wo 30 Minutes aur Ganga Snan)





बदरीनाथ यात्रा के दूसरे भाग में आइए हम आपको हरिद्वार से आगे के सफर पर ले चलते हैं। आगे चलने से पहले हम आपको थोड़ा बीते हुए लम्हों में एक बार फिर से ले जाना चाहते हैं। अभी तक आपने देखा कि कैसे हम हरिद्वार पहुंचे और कैसे केदारनाथ की बस मिली लेकिन पीछे की सीट मिलने के कारण हमने उस बस को छोड़ दिया और उसके बाद बदरीनाथ जाने वाली बस पर मनपसंद सीट मिलने पर उसी सीट पर अपना कब्जा जमाया और सीट अपने नाम कर लिया। अब सीट तो हमने हथिया लिया था पर अभी भी ये तय नहीं था कि हम बदरीनाथ पहुंचेंगे या फिर रुद्रप्रयाग उतरकर केदारनाथ चले जाएंगे; या चमोली उतरकर रुद्रनाथ चले जाएंगे। खैर वो बातें आगे होगी अभी हम पिछले आलेख में किए गए वादे के अनुसार आपको गंगा स्नान के लिए ले चलते हैं।

Sunday, November 24, 2019

बदरीनाथ यात्रा-1 : दिल्ली से हरिद्वार (Delhi to Haridwar)

बदरीनाथ यात्रा-1 : दिल्ली से हरिद्वार (Delhi to Haridwar)




एक बहुत ही लंबे अंतराल के बाद एक बार फिर से एक छोटी या बड़ी घुमक्कड़ी का संयोग बन रहा था, जिसमें जाने की तिथि तो हमने तय कर लिया था कि अमुक दिन हमें जाना है लेकिन वापसी की तिथि का कुछ पता नहीं था कि वापसी कब होगी, क्योंकि पहले यही नहीं पता था कि जाना कहां है, किस ओर कदम बढ़ेंगे, कितने दिन लगेंगे, और कौन साथ में चलेंगे या फिर अकेले ही जाना होगा, अगर कुछ तय था तो जाने का दिन और जाने की दिशा। अब जब जाने का दिन और दिशा तय था ही तो हमने सोचा कि क्यों न जाने का एक टिकट करवा लेता हूं और यही सोचकर हमने दिल्ली से हरिद्वार का एक टिकट बुक कर लिया। टिकट बुक करने के बाद कुछ साथियों को पूछा कि इतने तारीख को हम कहीं जाएंगे अगर आपका विचार बनता है तो साथ चलिए, जगह आप जहां कहेंगे हम वहां चले जाएंगे, पर वही ढाक के ढाई पात, ओह साॅरी ढाई नहीं तीन पात वाली बात हुई। कोई भी साथी जाने को तैयार न हुए।

Saturday, November 23, 2019

बदरीनाथ यात्रा-0: बदरीनाथ यात्रा का सारांश (Summary of Badrinath Journey)

बदरीनाथ यात्रा-0: बदरीनाथ यात्रा का सारांश (Summary of Badrinath Journey)




बहुत समय बाद एक बार फिर कहीं जाने का सुयोग बन रहा था। इससे पहले भी कई बार कई जगहों पर जाने का प्रयत्न किया पर हर बार असफलता ही हाथ लगी। कभी ऑफिस से छुट्टी नहीं मिल पाना, कभी कोई अन्य काम, तो कभी कुछ तो कभी कुछ कारण सामने आ जाते और हर बार मन को समझाकर घर पर ही बैठना पड़ता। इस बार जब जाने का कार्यक्रम तय किया तो कुछ पता नहीं था कि कहां जाएंगे; पर ये पता था कि कहीं न कहीं तो जाएंगे ही और इस बार तो ऑफिस की छुट्टियां भी बाधा नहीं बन रही थी। नवरात्रि के त्यौहार के कारण दो छुट्टियां पड़ रही थी और एक रविवार मिलाकर तीन दिन का इंतजाम तो अपने आप हो गया था और एक दिन आगे और एक-दो दिन बाद की छुट्टी लेने पर कोई दिक्कत नहीं होने वाली थी तो बना लिया कहीं जाने का प्लान।