कहानी तस्वीरों की (Story of pictures)
जैसे साहित्य समाज का दर्पण होता है वैसे ही मुझे लगता है कि फोटो भी यात्राओं का दर्पण होते हैं। और वे केवल फोटो केवल हमारी यात्राओं की यादें ही नहीं होती वरन वो हमारे लिए बहुत कुछ होते हैं, जैसे सखा, मित्र, भाई, सहेली, आदि।
वो हमारे साथ चलते हैं, हमारे साथ रहते हैं, हमसे बातें करते हैं और इतनी बातें करते हैं कि बातें कभी खत्म ही नहीं हो पाती है। फोटुओं से बातें करते हुए हम फिर से उसी सफर में पहुंच जाते हैं जहां से हम उन फोटुओं को पकड़ पकड़ के लाते हैं।