Tuesday, July 6, 2021

कहानी तस्वीरों की (Story of pictures)

कहानी तस्वीरों की (Story of pictures)



जैसे साहित्य समाज का दर्पण होता है वैसे ही मुझे लगता है कि फोटो भी यात्राओं का दर्पण होते हैं। और वे केवल फोटो केवल हमारी यात्राओं की यादें ही नहीं होती वरन वो हमारे लिए बहुत कुछ होते हैं, जैसे सखा, मित्र, भाई, सहेली, आदि।

वो हमारे साथ चलते हैं, हमारे साथ रहते हैं, हमसे बातें करते हैं और इतनी बातें करते हैं कि बातें कभी खत्म ही नहीं हो पाती है। फोटुओं से बातें करते हुए हम फिर से उसी सफर में पहुंच जाते हैं जहां से हम उन फोटुओं को पकड़ पकड़ के लाते हैं।

Monday, July 5, 2021

एक यात्रा की कुछ यादें (Some memories of a journey)

एक यात्रा की कुछ यादें (Some memories of a journey)




शाम का समय था और दिन भर के थके-हारे सूरज बाबा अपने घर में आराम करने के लिए जा रहे थे और ईधर लौह पथ गामिनी भी दो इंच चौड़े लौह पथ पर बिना धूल उड़ाए हरर-हरर घरर-घरर की आवाज किए हुए चली जा रही थी। ट्रेन के बाहर सूरज देव की सुनहरी आभा छलक रही थी तो अंदर सफेद रोशनी बिखर रही था। कितना अच्छा संयोग था बाहर आभा मैडम और अंदर रौशनी मैडम माहौल को खुशनुमा बनाए हुए थे। शम्भू दयाल जी इस ट्रेन से वहां तक जा रहे थे जहां तक ट्रेन जा रही थी और संयोग से उनके आॅफिस के ही एक सहकर्मी भी इसी ट्रेन से जा रहे थे और संयोग ऐसा कि वो भी उसी कोच में थे। बड़ी मुश्किल से शम्भू दयाल और उनके साथी ने मिलकर सीटों की अदला-बदली किया और एक जगह विराजमान हुए। ट्रेन के बाहर विराजित आभा मैडम भी अपने घर चली गईं और ट्रेन के अंदर विराजित रौशनी मैडम जी भी अपने घर जाने लगे थे और शम्भू दयाल जी नींद की शरण में जाने की तैयारी करने लगे थे।

Sunday, July 4, 2021

मैं और मेरी कहानी (Main aur Meri Kahani)

मैं और मेरी कहानी (Main aur Meri Kahani)



मैंने अपने जीवन के पहले कुछ साल और शायद उसके बाद के कुछ साल और फिर उसके बाद के कुछ और साल एक गूंगे-बहरे आदमी की तरह बिताया। बचपन से ही पुराने ढंग के पोशाक पहनना पसंद है जैसे कोई पाषाण काल का आदमी हूं और जैसा कि मैं सोचता हूं मैं उसमें बुरा नहीं लगता हूं। .... .... .... .... .... .... .... .... .... .... .... .... .... .... .... .... .... .... .... .... .... .... .... .... .... .... मैं किसी गुप्त आग में जलना, किसी अन-अनुमेय कुएं की गहराई में डूबना तो चाहता था लेकिन उस आग में अपने को फेंकने या कुएं में कूदने का साहस मुझमें नहीं था और न ही कोई ऐसा नहीं मिला जो मुझे उस आग में धकेल दे इसलिए मैं बिना उस ओर ताके किनारे पर ही चलता।