Saturday, January 19, 2019

शम्भू जी की रेल यात्रा (Train Journey of Shambhu Jee)

शम्भू जी की रेल यात्रा (Train Journey of Shambhu Jee)




मेरे पड़ोस में एक शम्भू दयाल नामक एक व्यक्ति रहते हैं। एक बार अचानक ही उन्हें कहीं जाना पड़ गया। बड़ी मुश्किल से उन्होंने एक तत्काल टिकट का इंतजाम किया, वो भी वेटिंग हो गई, लेकिन किस्मत ने उनका साथ दिया और टिकट कंफर्म भी हो गई। वो यात्रा के लिए घर से निकले और स्टेशन पहुंच गए। स्टेशन पर जाने पर पता चला कि उन्होंने जिस गाड़ी का टिकट लिया उससे पहले की दो ट्रेन और बाद की तीन ट्रेन कैंसिल है। ट्रेन कैंसिल होने का कारण भी ये था कि जो ट्रेनें यहां से जानी थी वो आई ही नहीं थी क्योंकि जहां से वो आने वाली थी वो किसी राजनीतिक पार्टी के देश या राज्य बंद के कारण रास्ते में ही खड़ी थी। मतलब कुल मिलाकर यह हुआ कि उन सभी ट्रेनों की जितनी सवारियां हैं उनमें से अधिकतर सवारियां जो भीड़ का सामना करने का हौसला रखती है, वो इसी में सवार होगी।

Thursday, January 17, 2019

घुमक्कड़ (Traveller)

घुमक्कड़ (Traveller)




एक घुमक्कड़ हमेशा एक सफर में रहना चाहता है और बिना थके, रुके, बिना मुड़े, बस ईधर-उधर देखते हुए चलता ही रहना चाहता है। उसे मंजिल नहीं चाहिए होता है उसे तो रास्ते अच्छे लगते हैं। रास्ते उसके लिए मंजिल होते हैं और मंजिल बस एक पड़ाव। वह चलता रहना चाहता है और किसी चलती हुई रेलगाड़ी के पीछे भागते हुए पेड़-पौधों, घर और दीवार को गिनना चाहता है। रास्ते में मिलने वाले खूबसूरत नजारें उसे दीवाना बनाते हैं और उसकी दीवानगी में वो बस चलता रहता है, उससे मिलने के लिए। वह बर्फ की चादर ओढ़ कर सोए हुए किसी झील के किनारे बैठकर उसके प्यार की आग में जलते रहना चाहता है और उसे अपने हृदय की अनंत गहराइयों में उतार लेना चाहता है।

Tuesday, January 15, 2019

रेगिस्तान और हिमालय (Registan aur Himalaya)

रेगिस्तान और हिमालय (Registan aur Himalaya)




बिछड़े हुए दो प्रेमी : रेगिस्तान और हिमालय (Registan aur Himalaya)कितनी अजीब बात है न, हम दोनों ने एक ही जगह से अलग-अलग दिशाओं में सफर करना आरंभ किया था और सोचे थे कि चलते चलते एक न एक दिन कहीं मिल जाएंगे। मिलने की उम्मीद में बस चले ही जा रहे थे कि सहसा ही हमारे कदम रुक गए थे। हमने पीछे मुड़कर देखा था कि जरूर तुम भी मुझे पीछे मुड़कर देख रहे होगे और बहुत खुशी हुई थी कि ये देखकर कि तुम भी मुझे ठीक वैसे ही देख रहे हो जैसे हम तुमको देख रहे हैं। हम सोच रहे थे कि तुम वापस आओगे और तुम सोच रहे थे हम वापस आएंगे और इसी सोच में न जाने कब हम दोनों ही अपने स्थान पर जड़बद्ध हो गए पता ही नहीं चला।

Monday, January 14, 2019

रास्ता (Way)

रास्ता (Way)



जब हम कहीं किसी सफर पर निकलते हैं तो बस दो चीजें ही ध्यान में रहती है कि कहां से चलना है और कहां जाना है। यहां से वहां तक और फिर वहां से वहां तक। पर कुछ दीवाने हमारे और आप जैसे भी होते हैं जिनका ध्यान यहां से वहां तक बहुत कम होता है। उनको ध्यान तो यहां से वहां के बीच पड़ने वाले रास्ते पर होता है। जो रोमांच रास्तों को देखकर होता है वो मंजिल पर पहुंचकर नहीं। मंजिल तक पहुंचकर तो सफर समाप्त हो जाता है। रास्ते तो बस चलते रहते हैं जो कभी खत्म नहीं होता। जो खूबसूरती किसी सफर में रास्ते में दिखाई देती है वो मंजिल पर पहुंचकर नहीं। मंजिल तो बस एक विश्रामस्थल है जहां कुछ देर रुकना फिर आगे चल पड़ना है।

Saturday, January 5, 2019

वैष्णो देवी यात्रा का सारांश (Summary of Vaishno Devi Journey)

वैष्णो देवी यात्रा का सारांश 

(Summary of Vaishno Devi Journey)




वैष्णो देवी के प्रति मेरे मन में ऐसी श्रद्धा बैठ गई है या कहें तो ये जगह मेरे मन में ऐसे बस गई है कि हमारा बेचैन मन हर बार और बार बार यहां जाना चाहता है। अब बार-बार जाना संभव तो है नहीं तो उस इच्छा पूर्ति के लिए साल में एक बार यहां का रुख कर लेते हैं और वो समय होता है नवरात्रों का। पूरा विवरण लिखने से पहले आइए उसी यात्रा एक सारांश हम आपके सामने रखते हैं। हमारी यह यात्रा 16 अक्टूबर की शाम को दिल्ली से आरंभ होकर 19 अक्टूबर की सुबह को दिल्ली आकर समाप्त हुई। (यात्रा का आरंभिक और समाप्ति स्थल-दिल्ली)। टिकट बुकिंग चार महीने पहले, ट्रेन 12445 अप, रात 8.50 (दिल्ली से कटरा), 12446 डाउन, शाम 6.55 (कटरा से दिल्ली)। यात्रा का कुल खर्च 1300 रुपए (10 रुपया घर से नई दिल्ली, 385 रुपया नई दिल्ली से कटरा, 406 रुपया रुकने का (दो दिन का, एक दिन का 203 रुपया) साथ ही नाश्ता फ्री और पानी बोतल मुफ्त, 40 रुपए का प्रसाद, 385 रुपया कटरा से नई दिल्ली, 15 रुपया नई दिल्ली से घर, दस-बीस रुपए और अतिरिक्त खर्च)।

Friday, January 4, 2019

मध्यमहेश्वर यात्रा का सारांश (Summary of Madhyamaheshwar Journey)

मध्यमहेश्वर यात्रा का सारांश
(Summary of 
Madhyamaheshwar Journey)



जब हम पहली बार केदारनाथ गए थे तभी से मन में पांचों केदार (केदारनाथ, मध्यमहेश्वर, तुंगनाथ, रुद्रनाथ, कल्पेश्वर) के दर्शन करने की इच्छा हुई थी जो धीरे-धीरे फलीभूत भी हो रही है। केदारनाथ के बाद तुंगनाथ गया और फिर दुबारा भी तुंगनाथ पहुंच गया। समय के साथ आगे बढ़ते हुए दुबारा भी हमने केदारनाथ यात्रा कर लिया और उसके बाद बारी थी किसी और केदार तक पहुंचने की। दो बार केदारनाथ और दो बार तुंगनाथ के दर्शन के पश्चात हमारे कदम चल पड़े थे एक और केदार मध्यमहेश्वर के दर्शन करने। मध्यमहेश्वर यात्र का पूरा विवरण लिखने से पहले आइए पढि़ए उसी यात्रा का सारांश। हमारी यह यात्रा 27 सितम्बर 2018 की शाम को दिल्ली से आरंभ होकर 2 अक्टूबर सुबह को दिल्ली आकर समाप्त हुई। (यात्रा का आरंभिक और समाप्ति स्थल-दिल्ली)। रांसी से मध्यमहेश्वर की दूरी 18 से 20 किलोमीटर है जो पैदल ही तय करनी होती है या घोड़े द्वारा।

Thursday, January 3, 2019

एक अधूरा सफर (An unfinished journey)

एक अधूरा सफर (A unfinished journey)



बहुत दिनों से मन में था कि दीपावली का दिन बदरीनाथ में ठाकुर जी के चरणों में बिताऊंगा और उसी पर अमल करते हुए हम झोला लेकर निकल पड़े थे ठाकुर जी से मिलने। निकल तो पड़े थे लेकिन या तो ठाकुर जी मुझसे मिलना नहीं चाहते थे या फिर मेरी परीक्षा ले रहे थे कि कर्म और पूजा में मैं किसे प्राथमिकता देता हूं। अपनी बनाई योजना के अनुसार रात नौ बजे (5 नवम्बर 2018) घर से निकले और करीब 40 मिनट के छोटे से सफर के बाद हम पहुंच गए कश्मीरी गेट बस अड्डे। वहां जाते ही बस अड्डे के बाहर एक हरिद्वार जाने वाली यूपी रोडवेज की बस मिल गई। लेकिन बस जी पहले से ही सवारियों से सजे-धजे भरे हुए थे, केवल पीछे की दो-तीन सीटें खाली थी, इसलिए हमने उनको बाय-बाय कर दिया और बस अड्डे के अंदर चले गए। वहां कई सारी बसें थी जो अपने गंतव्य पर जाने के लिए सवारियों के इंतजार में खड़ी थी। हम भी एक देर न करते हुए एक हरिद्वार जाने वाली बस में समाहित हो गए और एक सीट पर अपना कब्जा जमा लिया।