बेचैन रातें (Anxious Nights)
दीपक अपने ऑफिस में बैठा अपने काम में व्यस्त था तभी पूरे दिन खामोश पड़ा रहने वाला चलभाष अचानक ही घनघना उठता है। ट्रिन.....ट्रिन.....ट्रिन.....ट्रिन.....ट्रिन.....ट्रिन.....ट्रिन.....!!!!!
दीपक अनजान नम्बर देखकर बड़े ही अनमने ढंग से फोन रिसीव करता है, पर उधर से जानी-पहचानी आवाज से सामना होता है। आपस में कुशलक्षेम की पूछने का दौर चलता है।
‘‘हेलो अमित, कैसे हो?’’
‘‘मैं ठीक हूं दीपक। आप बताइए आप कैसे हैं?’’
‘‘मैं भी ठीक हूं। पर आज अचानक इस समय कैसे? सब कुछ कुशल मंगल तो है न?’’
‘‘हां, सब कुछ ठीक है। वो क्या है कि आरती को रूटीन चेकअप के लिए अस्पताल लेकर आया था, पर डाॅक्टर ने उसे एडमिट कर लिया।’’