Monday, December 26, 2016

केदारनाथ यात्रा : तैयारियां और जानकारियां

केदारनाथ यात्रा : तैयारियां और जानकारियां



मैं न तो कोई लेखक हूँ और न ही लेखक बनने की कोई इच्छा रखता हूँ। बस अपनी यादों को संभाल कर रखने के लिए मैं ये ब्लॉग लिख रहा हूँ। मेरा ये ब्लॉग पढ़कर आप ऐसा महसूस करेंगे जैसे ये यात्रा मैंने नहीं आप खुद ही किये हैं। इसमें जो भाषा और शैली मैंने प्रयोग किया है उससे आपको बिलकुल अपनेपन का अहसास होगा।अपने इस ब्लॉग में मैं केदरनाथ और बद्रीनाथ यात्रा के बारे में आपको बताऊंगा। वहाँ जाने से पहले मैंने इंटरनेट पर केदारनाथ के बारे में बहुत खोजबीन की पर कोई ऐसा तथ्य नहीं मिला जिसके आधार पर अपनी यात्रा की योजना बना सकूं और एक लेख मिला भी तो योजना बनाने के लिए नाकाफी था। फिर भी किसी तरह इस यात्रा की रूपरेखा तैयार हो गयी। बहुत सोच विचार के बाद कि किस दिन कहाँ तक जाना है और कहाँ रुकना है, और अगर पूर्वनियोजित योजना के अनुसार यात्रा में कुछ दिक्क्तें आती है तो उससे किस तरह निपटा और आगे की यात्रा को सकुशल पूरा किया जाये। मैं, मेरी पत्नी (कंचन), मेरा बेटा (अदित्यानन्द), मेरी माताजी और मेरे पिताजी कुल 5 लोगों के लिए मैंने यात्रा की योजना बनाई। बहुत सोचने के बाद मैंने 4 जून (शानिवार) 2016 को दिल्ली से प्रस्थान करने की योजना बनाई। सबसे पहले मैंने दिल्ली से हरिद्वार के लिए मसूरी एक्सप्रेस (ट्रेन संख्या 14041) का 5 टिकट बुक किया। मम्मी और पिताजी का 3 जून का टिकट पटना से दिल्ली के लिए बुक किया. जहाँ जहाँ भी हमलोगों को रुकना था वहाँ के लिए मैंने उत्तराखण्ड सरकार द्वारा संचालित गेस्ट हाउस गढ़वाल मंडल विकास निगम के गेस्ट हाउस (http://www.gmvnl.in) ही बुक किया था। ये एक ऐसी यात्रा है जहाँ आपको बहुत ही सचेत रहने की जरुरत है। इस यात्रा में आपको कुछ चीज़े अपने साथ जरूर रख लेनी होगी। 



अच्छे से पैकिंग कर लें:

कपड़े:
चूँकि ये धाम ऊँचे पहाड़ों में स्थित हैं इसलिए आपको अपने साथ गर्मी और ठंडी दोनों के हिसाब से कपड़े रखने होंगे। अगर आप मई-जून में जा रहे हैं तो दिन में तो बिना स्वेटर के काम चल जाएगा पर रात में गरम कपड़ों की ज़रूरत पड़ेगी। इसलिए सभी यात्री कम से कम दो जोड़ी स्वेटर/जैकेट, इनर, टोपी-मफलर आदि रख लें। छोटे बच्चों के लिए दस्ताने भी रख लेना सही रहेगा।

खाने-पीने की चीजें:

हम लोगों ने अपने साथ घर की बनी कुछ खाने-पीने की चीजें रख लीं थीं जो हमारे बहुत काम आयीं- ठेकुआ, ड्राई फ्रूट्स, नमकीन, आंटे के लड्डू, नीम्बू, सत्तू , हरी मिर्च, इत्यादि।  वैसे पहड़ों पर पानी साफ़ होता है पर अगर आपको RO water की आदत है तो मिनरल वाटर लेना ही ठीक होगा।

डेली यूज़ के आइटम्स:

ब्रश, शेविंग किट, शैम्पू , क्रीम, बॉडी लोशन, पेपर सोप, इत्यादि।

अन्य आवश्यक सामान:

टॉर्च : तीन-चार लोगों के बीच में 2 टॉर्च और एक्स्ट्रा बैटरी ज़रूर रख लें। पहाड़ों में कई बार बिजली नहीं आती और कभी-कभी चढ़ाई करते वक़्त या उतरते समय भी अँधेरा हो जाने पर टॉर्च बहुत काम आते हैं।

रेन कोट:

पहाड़ों में अक्सर दोपहर में बारिश होने लगती है इसलिए आप रेन कोट ले लें तो बेहतर होगा। वैसे आप चाहें तो धाम पर पहुँच कर भी सिर्फ 20 रुपये से लेकर हज़ार रूपये तक के रेन कोट खरीद सकते हैं।

पॉलिथीन / पन्नी: जब आप गाडी में बैठ कर पहाड़ पर चढ़ते हैं तो आपको उल्टियाँ आ सकती हैं, ऐसे में आपके पास मौजूद पन्नियाँ बहुत काम आती हैं। कुछ लोग गाडी से सिर निकाल कर भी उल्टी कर लेते हैं पर ये ऐसा करना रिस्की हो सकता है क्योंकि वहां के रास्ते बहुत सकरे और घुमावदार होते हैं और ऐसे में गाड़ियाँ एक दुसरे के बहुत करीब से गुजरती हैं, इसलिए कभी हाथ या सर बाहर न निकालें।

मेरा अनुभव है कि अधिकतर लोगों को यात्रा के पहले-दुसरे दिन ही उल्टी महसूस होती है और बाद में आप comfortable हो जाते हैं।

जूते-चप्पल:

आप ज्यादातर समय चप्पल या सैंडल में ही आराम महसूस करेगे लेकिन चढ़ाई के वक़्त जूते पहनना ज़रूरी है, इसलिए जूते-चप्पल ज़रूर रख लें।

दवाईयां:

बुखार, सर दर्द, उल्टी, लूज़ मोशन इत्यादि की दवाइयां बच्चों और बड़ों के हिसाब से रख लें। पहाड़ पर यात्रा शुरू करने से आधे घंटे पहले travel sickness avoid करने के लिए एक दावा खायी जाती है, आप इसके बारे में डॉक्टर या केमिस्ट से पूछ सकते हैं।


यात्रा मार्ग में पड़ने वाले प्रमुख स्थान और दूरी 

दिल्ली से हरिद्वार : 250 से  300 किलोमीटर
हरिद्वार से ऋषिकेश : 24 किलोमीटर
ऋषिकेश से देवप्रयाग :71 किलोमीटर
देवप्रयाग से श्रीनगर : 35 किलोमीटर
श्रीनगर से रुद्रप्रयाग : 32 किलोमीटर

रुद्रप्रयाग से दो रास्ते : एक रास्ता केदारनाथ और दूसरा रास्ता बदरीनाथ 

रुद्रप्रयाग से गुप्तकाशी :
45  किलोमीटर

गुप्तकाशी से सोनप्रयाग : 31  किलोमीटर
सोनप्रयाग से गौरीकुंड : 5 किलोमीटर
गौरीकुंड से केदारनाथ :16 किलोमीटर (पैदल चढ़ाई)

रुद्रप्रयाग से कर्णप्रयाग : 32 किलोमीटर
कर्णप्रयाग से चमोली : 32 किलोमीटर
चमोली से जोशीमठ : 50 किलोमीटर
जोशीमठ से बदरीनाथ : 50 किलोमीटर
बदरीनाथ से माणा गांव : 3 किलोमीटर 

संक्षिप्त ब्यौरा 
4 जून 2016: दिल्ली से हरिद्वार
5 जून 2016: हरिद्वार से ऋषिकेश से श्रीनगर (गढ़वाल)
6 जून 2016: श्रीनगर (गढ़वाल) से रुद्रप्रयाग से गौरीकुंड
7 जून 2016: गौरीकुंड से केदारनाथ
8 जून 2016: केदारनाथ से गौरीकुंड से रुद्रप्रयाग से गौचर
9 जून 2016: गौचर से बदरीनाथ
10 जून 2016: बदरीनाथ से माणा गांव तथा माणा गांव से बद्रीनाथ से गौचर
11जून 2016: गौचर से हरिद्वार और हरिद्वार से दिल्ली
12 जून 2016: दिल्ली में यात्रा समाप्त

यात्रा के साधन 
असल में यात्रा की शुरुआत हरिद्वार या ऋषिकेश से होती है। हरिद्वार और ऋषिकेश रेल नेटवर्क से पुरे देश से जुड़ा हुआ है।  हरिद्वार और ऋषिकेश से आगे की यात्रा के लिए एकमात्र साधन सड़क  ही है।  इन दोनों जगहों से बस और जीप बहुत मिलते हैं।  बसें हरिद्वार से गोपेश्वर तक जाती है।  जीप से आपको बीच बीच में दूसरी लेनी पड़ेगी।  जैसे हरिद्वार या ऋषिकेश से देवप्रयाग, देवप्रयाग से श्रीनगर या रुद्रपयाग, केदारनाथ जाने के लिए रुद्रपयाग से गुप्तकाशी, गुप्तकाशी से सोनप्रयाग और बद्रीनाथ जाने के के लिए रुद्रपयाग से कर्णप्रयाग या चमोली, फिर चमोली से जोशीमठ, जोशीमठ से बद्रीनाथ, रुद्रप्रयाग से आगे जीप ही ज्यादा मिलती है।  बसें थोडी देर में मिलती है।  अगर आप चाहें तो टैक्सी बुक कर सकते हैं।  ये अपने अपने बजट पर निर्भर है। केदारनाथ के लिए आपको गौरीकुंड तक सड़क  मार्ग से जायेगे।  उसके बाद का 16  किलोमीटर का रास्ता पैदल चढ़ाई है। जो पैदल नहीं चल सकते उनके लिए घोडा और ट्टटू मिल जाते हैं जो एक आदमी के केवल जाने या केवल आने का 3000 रुपए लेता है।  इस तरह से आने और जाने का 6000 रुपए।  पालकी भी मिलती है जिसे  चार लोग ले जाते है उसका एक तरफ का किराया 7500 से 8000 रुपए है मतलब आने और जाने का मिलकर 15000 से 16000  रुपए।


केदारनाथ के बारे में 
आप लोगों में से कुछ ऐसे लोग होंगे जो केदारनाथ और बदरीनाथ जा चुके होंगे।  कुछ नहीं गए होंगे।  जो गए हैं उनको तो सब पता है जो नहीं गए है उनको सब नहीं तो थोड़ा तो पता होगा ही।  साल 2013 में आई आपदा में न जाने कितने लोग मार गए, कितने लापता हो गए ये तो सबको पता है।  आज किसी के भी पास केदारनाथ का नाम भी लो तो उनके चेहरे पर डर का एक भाव आता है। ऐसी ही स्थिति से मुझे भी गुजरना पड़ा।  अब कुछ केदारनाथ के बारे में हो जाये। 


केदारनाथ को बारह ज्योतिर्लिंगों में एक हैं  हिमालय की पर्वतश्रृंखलाओं में स्थित केदारनाथ मन्दिर एक प्रमुख तीर्थस्थल है जहाँ पर हिन्दू भगवान शिव का ज्योतिर्लिंग स्थापित है। केदारनाथ का ज्योतिर्लिंग 3584 मी की ऊँचाई पर स्थित है और बारहों ज्योतिर्लिंगों में सबसे महत्वपूर्ण है। आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित इस 8वीं शताब्दी के मन्दिर के पास से ही मंदाकिनी नदी बहती है। यह मन्दिर एक पुराने मन्दिर के बगल में स्थित है जिसे पाँण्डवों ने बनाया था। प्रार्थना हॉल की आन्तरिक दीवारों पर विभिन्न हिन्दू देवी देवताओं के चित्र देखे जा सकते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव की सवारी नन्दी बैल की प्रतिमा मन्दिर के बाहर एक रक्षक के रूप में स्थित है। 1000 साल से भी ज्यादा पुराने इस मन्दिर को एक चतुर्भुजाकार मंच पर भारी पत्थरों को काट कर समान पटियाओं को मिलाकर बनाया गया है। मन्दिर के अन्दर गर्भगृह है जहाँ भगवान की पूजा की जाती है। मन्दिर परिसर के अन्दर ही एक मम्डप स्थित है जहाँ पर विभिन्न धार्मिक समारोहों का आयोजन होता है। लोककथाओं के अनुसार कुरूक्षेत्र के युद्ध के उपरान्त पाँण्डव अपने पापों के प्रायश्चित के लिये इस मन्दिर में आये थे।



केदारनाथ की यात्रा अप्रैल माह के मध्य से नवम्बर मध्य तक की जा सकती है. नवम्बर मध्य से अप्रैल मध्य तक बाबा केदारनाथ का पट बंद रहता है. प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु भक्त यहां शिव के दर्शनों के लिए यहां आते हैं. केदारनाथ मार्ग में गौरी कुण्ड है. माना जाता है कि पार्वती जी ने गणेश जी को यहीं जन्म दिया था. यहां जाने के लिए हरिद्वार एवं ऋषिकेश से कई प्रकार के साधन उपलब्ध रहते हैं. गौरी कुण्ड के बाद तीव्र ढ़लान है जहां से तीर्थयात्रियों को पैदल आगे जाना होता है. जो तीर्थयात्री पैदल चलने में असमर्थ होते हैं वह पिट्ठू, पालकी अथवा घोड़े पर चढ़कर बाबा केदारनाथ के दरबार तक पहुंच सकते हैं.

दर्शन का समय 

  • केदारनाथ जी का मन्दिर आम दर्शनार्थियों के लिए प्रात: 7:00 बजे खुलता है।
  • दोपहर एक से दो बजे तक विशेष पूजा होती है और उसके बाद विश्राम के लिए मन्दिर बन्द कर दिया जाता है।
  • पुन: शाम 5 बजे जनता के दर्शन हेतु मन्दिर खोला जाता है।
  • पाँच मुख वाली भगवान शिव की प्रतिमा का विधिवत श्रृंगार करके 7:30 बजे से 8:30 बजे तक नियमित आरती होती है।
  • रात्रि 8:30 बजे केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग का मन्दिर बन्द कर दिया जाता है।
  • शीतकाल में केदारघाटी बर्फ़ से ढँक जाती है। यद्यपि केदारनाथ-मन्दिर के खोलने और बन्द करने का मुहूर्त निकाला जाता है, किन्तु यह सामान्यत: कार्तिक मास में दीपवाली के एक-दो दिन बाद बन्द हो जाता है और छ: माह बाद अर्थात अक्षय तृतीया के दिन कपाट खोल दिए  जाते हैं।  अंग्रेजी महीने के हिसाब से  तिथि में परिवर्तन होता है। 
  • ऐसी स्थिति में केदारनाथ की पंचमुखी प्रतिमा को ‘उखीमठ’ में लाया जाता हैं। इसी प्रतिमा की पूजा यहाँ भी रावल जी करते हैं।
  • केदारनाथ में जनता शुल्क जमा कराकर रसीद प्राप्त करती है और उसके अनुसार ही वह मन्दिर की पूजा-आरती कराती है अथवा भोग-प्रसाद ग्रहण करती है।







    हरिद्वार स्टेशन के बाहर बने भोलेनाथ की मूर्ति और मूर्ति के सामने खड़ा आदित्या 




    31 comments:

    1. Kedarnath ke bare me itni sari jankari dene ke liye dhanyabad.

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      1. aap jaise aur log bhi padhege to mujhe jaise log blog likhege

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      2. aap jaise aur log bhi padhege to mujhe jaise log blog likhege

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    2. Aaj ke yug men aap shravan kumar jaise mata pita ko aise kathin raste ho ke bhole nath ko darshan kiye
      aapka himmat ka dhanyabad

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    3. Very very thanks itni jaankari Dene k liye or apna Anubhav batne k liye

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    4. aap jaise log hote tabhi to padhte hai mujhe jaise nachiz ke blog, ache to aap hai

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    5. AAP KA SUKRIYA APNI YATRA VRITANT KE Dwara KEDARNATH AUR BADRI NATH KI YATRA KI JANKARI DENE KE LIYE

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    6. Very very thanks itni jaankari Dene k liye or apna Anubhav batne k liye

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    7. आपको भी बहुत धन्यवाद। आप पढ़ते हैं तभी तो हम लिख पाते हैं। मेरा तीसरा ब्लॉग बदरीनाथ से माणा भी उपलब्ध है उसे भी पढ़ें, और शब्दों के भाव को समझें


      आपने मेरे दो ब्लॉग पढ़े अब तीसरा पढ़िए तब तक और भी ब्लॉग आपके लिए उपलब्ध होगा।

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    8. ब्लॉग का मतलब यही होना चाहिए ताकि पढ़ने वालों को बिस्तृत जानकारी मिल सके। बहुत ही बढ़िया तरीका लिखने का बिल्कुल सरल भाषा और जानकारी, मैन खुश हो गया पढ़कर

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      1. अगर आप जैसे बंधुओं का प्यार बना रहा तो तो ऐसे बहुत सारे लेख पढ़ने को मिलेंगे, जिसमे कोई बनावटी रंग नहीं होगा, जो भी होगा अपना अनुभव होगा

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    9. अगर आप जैसे बंधुओं का प्यार बना रहा तो तो ऐसे बहुत सारे लेख पढ़ने को मिलेंगे, जिसमे कोई बनावटी रंग नहीं होगा, जो भी होगा अपना अनुभव होगा

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    10. Replies
      1. mere post aur mere blog par aapka sadar abhinandan hai bandhuwar,

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    11. mere post aur mere blog par aapka sadar abhinandan hai bandhuwar,

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    12. सिन्हा जी , बहुत बढ़िया लिखा ,जैसे शुरू में अपने अनुभव जोड़े उसी तरह बाकी पोस्ट में अनुभव जोड़ते तो और मजा आता . क्योंकि तथ्य के साथ अनुभव होने से पोस्ट रोचक भी हो जाती है ।

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      1. मुकेश जी, मेरे सभी पोस्ट में मेरे पूरा यात्रा विवरण लिखा हुआ है, आपने तो बस केदारनाथ की ओर का पहला भाग पढ़ा, ये पूरी यात्रा 7 भागों में प्रकाशित है, आप पोस्ट के नीच भाग 1 से 7 के लिंक पर क्लिक करके पूरा वृतांत पढ़े , यक़ीनन आपकी शिकायत दूर हो जाएगी।

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    13. आपकी आखिरी पोस्ट पढ़ी, अब पहली वाली भी पढ़ी। इस पोस्ट में आपने जानकारियां अधिक, जबकि अनुभव कम लिखे, बाद के पोस्टों में अनुभव लिखना शुरू किया है। लिखने की शैली तो आपकी पहली पोस्ट से ही जबरदस्त है, उसके बारे कुछ नही कहूंगा। पहली ही पोस्ट में इतने कमेंट तो मेरे भी नही आये थे।
      बस आप पोस्ट का शीर्षक थोड़ा और वर्णनात्मक बनाये रखें...जैसे कि इस पोस्ट का शीर्षक सिर्फ "केदारनाथ की ओर" के बदले "केदारनाथ: तैयारियां और जानकारी" रख सकते है।

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      1. हां, मैं हरेक पोस्ट के शीर्षक को बदलूँगा, और बढ़िया शीर्षक डालूगा,

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    14. वाह.... भरपूर जानकारी युक्त पोस्ट... जाने वाले को काफी सुविधाए होगी इस पोस्ट से...

      बाकी आर डी भाई की सलाह तो मिल ही गयी है आपको

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      1. हाँ इसे पढ़कर जाने वाले को आसानी होगी और मदद भी मिलेगी, और पूरी केदार-बदरी यात्रा का विवरण मैंने विस्तार से दिया हो और दूसरे पोस्ट में है। हाँ आर डी भाई ने जो सलाह दिया है उसे टाइम निकालकर सही करेंगे।

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    15. जानकारियों का भंडार है आपकी यह पोस्ट।

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      1. मधुर मधुर धन्यवाद मित्र।

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    16. बहुत सुदंर वर्णन है जी अंजान व्यक्ति भी आराम से जा सकते है। बदरीनाथ के एक रावल का बेटा हमारा क्लासमेट था, तो हम लोग कई दफा लुच्चयि करने पहुँच जाते रहे। पर एक बार मम्मी पापा के साथ जाना है जल्दी ही।

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      1. अनुराग जी धन्यवाद और अभिनन्दन आपका, हां इस जगह पर पर एक बार आप मम्मी पापा के साथ जरूर जाइये, मैं भी मम्मी पापा को साथ लेकर ही गया था।

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    17. बहुत बहुत धन्यवाद आपको

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    18. You provide very good information on Kedarnath for Hindi travel bloggers. It will be good information for Hindi readers of India.
      For more Indian tourist places please visit website TouristBug. Here you will get details of tourist places in India.
      Tourist Places in Dehradun
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    19. https://www.traveljunoon.com/travel-blog/kedarnath-tour-blog-in-hindi/

      मेरा भी एक छोटा सा प्रयास (यात्रा वृत्तांत): सभी व्यवधानों को दूर कर देता है बाबा का बुलावा

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