Showing posts with label देश-राज्य. Show all posts
Showing posts with label देश-राज्य. Show all posts

Thursday, November 28, 2019

मैं मगध हूँ...! (Main Magadh Hoon...!)

मैं मगध हूँ...! (Main Magadh Hoon...!)



मैं मगध हूँ..!
मैं मगध हूँ... एक सभ्यता हूँ... एक संस्कृति हूँ...

गंगा के विस्तृत जलोड़ और कछार की मेरी यह भूमि समृद्ध रही है अपने मतवाले गजों और घनघोर साल के जंगलों से...! शिलागृहों और गर्तवासी आदिमानवों की शिकार-क्रीड़ांगन रही यह भूमि, संस्कृति सूर्य के चमकने पर जन से जनपद, जनपद से महाजनपद, महाजनपद से राज्य और राज्य से अखिल जम्बूद्वीप का केंद्र और निर्माणकर्ता रही है और इसने ही प्रथम साम्राज्य बने उस आर्यावर्त को भी बनाया।

Monday, October 28, 2019

प्रकृति पूजा का महापर्व है : छठ महापर्व

प्रकृति पूजा का महापर्व है : छठ महापर्व





केलवा जे फरेला घवद से, आह पर सुगा मंडराय
उ जे चढैवो आदित्य के, सुग्गा देले जुठियाय
मरबो रे सुगवा धनुष से, सुग्गा गिरै मुरछाय
सुगनी जे रोवे ला वियोग से आदित्य होवा न सहाय

छठ महापर्व के ऐसे ही कुछ कर्णप्रिय और मधुर गीत आजकल पूरे बिहार और पूर्वांचल क्षेत्र के हर गली, नुक्कड़, गांव, शहर और चौक-चौराहे पर सुनने के लिए मिल जाएंगे। कुछ दशक पहले तक छठ पर्व एक ऐसा त्यौहार था जो केवल बिहार और पूर्वांचल तक ही सीमित था और इन इलाकों से अलग दूसरे राज्य के निवासी इसे एक आश्चर्य की तरह देखते थे कि ये कैसा त्यौहार है, लेकिन अब यहां के निवासियों का दूसरे राज्यों और यहां तक कि दूसरे देशों में बसने के कारण यह त्यौहार वहां भी मनाया जाने लगा है। मुझे याद है जब दिल्ली में 18 साल पहले आया था तो बहुत कम लोग यहां छठ मनाते थे और बिहार के लोग भी छठ में अपने अपने शहरों की ओर त्यौहार मनाने के लिए लौट जाते थे, लेकिन अब एक तो आने जाने में गाडि़यों की इतनी दिक्कत होने लगी है कि लोग उस परेशानी से बचने के लिए यहीं छठ मनाने लगे और आज के समय में छठ यहां धूमधाम से मनाया जााने लगा है।

Sunday, August 5, 2018

ऐसा देश है मेरा (Aisa Desh Hai Mera)

ऐसा देश है मेरा (Aisa Desh Hai Mera)



कभी-कभी ऐसा कुछ होता है जिसके बारे में हम कुछ सोच नहीं पाते। ऐसा ही कुछ हुआ जिसके कारण हमने ये लेख लिखा है। इस आलेख की पटकथा एक फोटो से आरंभ हुई थी इसलिए उसी फोटो को हम इस पोस्ट में लगा रहे हैं। यह फोटो हमारे एक घुमक्कड़ मित्र आदरणीय किशन बाहेती (Kishan Bahety) जी द्वारा लेह यात्रा के दौरान ली गई थी। आइए आप भी पढि़ए इस आलेख को, जिसे लिखने में मेरा सहयोग अनुराग गायत्री चतुर्वेदी (Anurag Gayatree Chaturvedi) जी ने भी किया है।

ऐसा देश है मेरा तो क्यों परदेश मैं जाऊं।
अगला जन्म लेकर इस पुण्य धरा पर आऊं।

उपरोक्त ये जो दोनों पंक्तियां अभी आपके सामने है, ये केवल दो पंक्तियां नहीं बल्कि अपने इस देश की गौरव गाथा है। इन दो पंक्तियों से ही इस देश की संपूर्ण गाथा लिखी जा सकती है। ज्यादा तो नहीं थोड़ा लिखने की कोशिश किया हूं, उम्मीद है सबको पसंद आएगा। असल ये दोनों पंक्तियां आदरणीय किशन बाहेती जी की है, जिस पर मैंने अपने देश का गुणगान करते हुए ये लेख लिखा है।