वैष्णो देवी यात्रा का सारांश
(Summary of Vaishno Devi Journey)
वैष्णो देवी के प्रति मेरे मन में ऐसी श्रद्धा बैठ गई है या कहें तो ये जगह मेरे मन में ऐसे बस गई है कि हमारा बेचैन मन हर बार और बार बार यहां जाना चाहता है। अब बार-बार जाना संभव तो है नहीं तो उस इच्छा पूर्ति के लिए साल में एक बार यहां का रुख कर लेते हैं और वो समय होता है नवरात्रों का। पूरा विवरण लिखने से पहले आइए उसी यात्रा एक सारांश हम आपके सामने रखते हैं। हमारी यह यात्रा 16 अक्टूबर की शाम को दिल्ली से आरंभ होकर 19 अक्टूबर की सुबह को दिल्ली आकर समाप्त हुई। (यात्रा का आरंभिक और समाप्ति स्थल-दिल्ली)। टिकट बुकिंग चार महीने पहले, ट्रेन 12445 अप, रात 8.50 (दिल्ली से कटरा), 12446 डाउन, शाम 6.55 (कटरा से दिल्ली)। यात्रा का कुल खर्च 1300 रुपए (10 रुपया घर से नई दिल्ली, 385 रुपया नई दिल्ली से कटरा, 406 रुपया रुकने का (दो दिन का, एक दिन का 203 रुपया) साथ ही नाश्ता फ्री और पानी बोतल मुफ्त, 40 रुपए का प्रसाद, 385 रुपया कटरा से नई दिल्ली, 15 रुपया नई दिल्ली से घर, दस-बीस रुपए और अतिरिक्त खर्च)।
16 अक्टूबर 2018
शाम 6.40ः बैग उठाकर निकल पड़ना
6.50ः लोकन ट्रेन का समय, लेकिन 25 मिनट लेट
7.15ः ट्रेन जी का आना और पूरे खाली पड़े कोच में अकेले बैठ जाना
7.30ः ट्रेन जी का नई दिल्ली स्टेशन पहुंचना
8.00ः 12445 नम्बर की ट्रेन का प्लेटफाॅर्म 15 पर आना और मेरा अपनी सीट पर कब्जा जमाना
8.50ः ट्रेन जी का धीरे धीर चलना और कुछ ही मिनट में हवा से बातें करते हुए अपनी गति पकड़ लेना
10.00ः पानीपत पहुंचना और जगमग रोशनी में स्टेशन का चहकना और उसके बाद मेरा नींद माता की शरण में जाना
17 अक्टूबर 2018
सुबह 6.00ः ट्रेन जी का जम्मू पहुंचना
6.25ः ट्रेन जी का जम्मू से आगे के लिए चलना
8.50ः ट्रेन जी का कटरा पहुंचना
9.30ः अपने डोरमेट्री पर कब्जा करना (कटरा में मैं हर बार आईआरसीटीसी गेस्ट हाउस में ही रुकता हूं, ऑनलाइन बुकिंग होती है, नाॅन एसी और एसी डाॅरमेट्री से लेकर हर तरह के कमरे उपलब्ध हैं, चेक इन का समय 11 बजे है, लेकिन खाली रहने पर पहले भी दे देते हैं)
दोपहर 11.00ः कुछ देर आराम करने के बाद 11.00 बजे गेस्ट हाउस से वाण गंगा की तरफ प्रस्थान
11.40ः वाण गंगा पहुंचना (वैसे तो वाण गंगा का पिक अप और ड्राॅप की सुविधा गेस्ट हाउस की तरफ से है लेकिन इस बार हमने पैदल ही रास्ता नापा, शौक से और संकरी गलियों से होते हुए वाण गंगा पहुंचना)
11.45ः वाण गंगा चेकपोस्ट पर प्रवेश, फिर उधेड़बुन में पड़ना कि नए रास्ते से जाएं या पुराने से और पुराने रास्ते से ही चल पड़ना
2.00ः अर्धकुंवारी और यहां से नया रास्ता पकड़ना
3.00ः हिमकोटी
शाम 4.00ः वैष्णो देवी, जाते ही लाॅकर मिल गया और सारा सामान रखकर प्रसाद की लाइन में लगना
4.30ः प्रसाद खरीदने के करीब 30 मिनट लगा और उसके बाद दर्शन की लाइन में लगना
5.15ः भारी गुत्ममगुत्थी वाली भीड़ के बावजूद 5.15 तक दर्शन हो गए
5.30ः दर्शन के बाद शिवगुफा में महादेव के सामने नतमस्तक और उसके बाद करीब दो घंटे वहीं पर समय बिताना
7.15ः भैरो मंदिर के लिए प्रस्थान
8.00ः भैरो मंदिर पहुंचना और वहां भी भीड़ से सामना, भीड़ देेखकर वहीं आराम से बैठ जाना कि भीड़ खत्म होने पर दर्शन करूंगा
8.40ः भीड़ का खत्म होना और मेरा दर्शन के लिए जाना और उसके बाद वापसी
9.10ः वापस वैष्णो देवी पहुंचना और लाॅकर से सामान निकाल कर कटरा वापसी की तैयारी
9.20ः फोटो खींचते हुए कटरा की तरफ प्रस्थान
11.00ः अर्धकुंवारी
12.50ः वाण गंगा चेकपोस्ट, कटरा
1.15ः रेलवेे स्टेशन
1.30ः नींद माता की शरण में
18 अक्टूबर 2018
सुबह 8.00ः सो कर उठना और नाश्ते के लिए मिला कूपन खर्च करने के लिए बाहर से आदमी को खोज कर लाना और उसे मुफ्त का खाना खिलाना, क्योंकि हम अपना कूपन क्यों बर्बाद होने दें
9.30ः बजे कटरा बाजार की सैर पर निकलना
दोपहर 1.00ः वापस आना और एक घंटा आराम
2.00ः तीन घंटा फोटो के लिए कैमरा लेकर सड़कों की खाक छानना
5.00ः फिर से गेस्ट हाउस आना
6.00ः बैग उठाकर प्लेटफाॅर्म पर जाना और ट्रेन में सवार होना
6.55ः ट्रेन जी का दिल्ली की ओर भागना और मेरा सो जाना
19 अक्टूबर 2018
सुबह 5.00ः पानीपत आकर नींद से जागना
6.45ः ट्रेन जी का नई दिल्ली पहुंचना
8.00ः घर पहुंचकर सफर की समाप्ति और साथ ही दस दिन बाद दाल-भात, चोखा और सब्जी से पेट पूजा।
वैष्णो देवी यात्रा कथा संपन्नः भवति।
।।इति श्री।।
Bahut hi badiya sir hame v knowledge mil gya jana or v experience share krna taki kuch knowledge mil sake
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद संजय जी। इससे पहले भी कई सारे पोस्ट हैं। जैसे कल मध्यमहेश्वर यात्रा का सारांश पब्लिश किया और उससे पहले भी कई यात्राओं का है और कई का पूरा विस्तृत विवरण लिखना अभी बाकी है।
Deleteवाह सर जी शानदार यात्रा।
ReplyDeleteनिःसंदेह आप के सिर पर माता पिता का आशीर्वाद है अर्थात मां वैष्णोदेवी और महादेव का। इसी कारण मां आपको हर साल दर्शन के लिए बुलावा भेजती है और महादेव तो आपको किसी ना किसी रुप में दर्शन दे ही देते हैं। मेरी तो ईश्वर से प्रार्थना हैं कि वह आप पर सदा ही अपनी कृपा बनाए रखें।
मैं तो माता रानी से प्रार्थना करता हूं कि वह मुझे भी बुलावा भेजे। मैं तो वर्ष 2015 मैं एक बार गया था वहाँ का इतना मनोरम दृश्य कि मैंने तो हर साल आने का वादा किया था....
लेकिन कहते हैं ना जब तक मां की इच्छा ना हो तब तक वहां जा नहीं सकते। इसलिए मैं तो बस माता रानी की बुलावे का इंतजार कर रहा हूं।
मैं तो आपकी पोस्ट पढकर वहां के मनमोहक प्राकृतिक सौंदर्य का मजे लेता रहता हूँ ।
बहुत बहुत धन्यवाद अर्जुन जी।
Deleteइतने सुंदर सुंदर और सुंदर सुंदर शब्दों से आपने जो टिप्पणी किया और इन शब्दों के द्वारा अपने मनोभावों को प्रदर्शित किया उसके लिए आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं। हमारी प्रार्थना है कि आपके मन का माना हुआ भी पूरा हो और आप हर साल वहां दर्शन के लिए जाएं।
वास्तव मे माता की यह जगह अतुलनीय है।
ReplyDeleteजयमातादी।
बहुत बहुत धन्यवाद आपको।
Deleteजी यहां मैं दस बार से जयादा जा चुका हूं, फिर भी लगता है कि बार बार जाऊं।
जय भवानी।
यह लेख एक गहराई और सूक्ष्मता से लिखा गया है। मैंने बहुत कुछ सीखा और समझा है। मेरा यह लेख भी पढ़ें वैष्णो देवी के आस पास घूमने की जगह
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