Tuesday, July 6, 2021

कहानी तस्वीरों की (Story of pictures)

कहानी तस्वीरों की (Story of pictures)



जैसे साहित्य समाज का दर्पण होता है वैसे ही मुझे लगता है कि फोटो भी यात्राओं का दर्पण होते हैं। और वे केवल फोटो केवल हमारी यात्राओं की यादें ही नहीं होती वरन वो हमारे लिए बहुत कुछ होते हैं, जैसे सखा, मित्र, भाई, सहेली, आदि।

वो हमारे साथ चलते हैं, हमारे साथ रहते हैं, हमसे बातें करते हैं और इतनी बातें करते हैं कि बातें कभी खत्म ही नहीं हो पाती है। फोटुओं से बातें करते हुए हम फिर से उसी सफर में पहुंच जाते हैं जहां से हम उन फोटुओं को पकड़ पकड़ के लाते हैं।

यात्रा से लौटने के बाद ये फोटो ही हैं जो हमें बार बार वहां ले जाते हैं। और कुछ फोटो तो ऐसे होते हैं जैसे कहते हैं ओ मुसाफिर तुम एक बार पुनः लौटना मेरे पास और खो जाना मुझमें। आकर तुम हमारे साथ ऐसे आत्मसात हो जाना जैसे पानी में शक्कर खो जाती है।

ये फोटो हमें बहुत बार उदासियों से भी बाहर निकालते हैं, अकेलपन में साथ भी देते हैं, जब कुछ भी न करने को हो तो बैठकर किताब के पन्नों की तरह पलटते हुए हरेक फोटो और उसके अंदर समाहित भाव को महसूस करते हुए ऐसा लगता है जैसे ये हमें उदासियों के सागर से तैर कर बाहर आने की राह भी दिखाते हैं।

और कभी-कभी ये फोटो ईश्वर के चरण सा प्रतीत होते हैं, मंदिर की सीढि़यों का आभास कराते हैं, मंदिर प्रांगण में जल रहे हवन कुंड सा लगते हैं, प्रतिमा के सामने जलती हुई अगरबत्ती का अहसास कराते हैं; और इनको देखते हुए मन में बस यही भाव आते हैं कि काश वो कोई मंदिर होता मैं मंदिर तक पहुंचने वाली की सीढि़यों के रूप में वही स्थिरचित्त पड़ा रहूं या फिर वो मंदिर में स्थापित मूर्ति हों और मैं उनके सामने अगरबत्ती के रूप में जलता रहूं।

काश कि वो मंदिर होता और मैं उसकी सीढि़यां
काश कि वो पूजा का थाल होता और मैं उसमें रखा हुआ फूल
काश कि वो मंदिर की मूर्ति होता और मैं उसके सामने अगरबत्ती बन जला करता
काश कि वो साधक होता और मैं उसकी साधना
काश कि वो कोई तपस्वी होता और मैं उसकी तपस्या
काश कि वो वीरान रास्ता होता और मैं उस पर चलता हुआ अकेला पथिक
काश कि वो कोई नदी होता और मैं शांत पड़ा हुआ किनारा
काश कि वो कोई समुद्र होता और मैं उच्छृंखल लहर
काश कि वो ये होता और मैं वो होता
काश कि वो ..............

फोटो : माना गांव के ऊपर का पहाड़ और उसके ऊपर खेलते बादल (October 2019)

7 comments:

  1. एक तस्वीर हजार शब्दों के बराबर होती है। सूंदर रचना।

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