घुमक्कड़ी के अजब-गजब सपने (Amazing dreams of Travelling)

दिल्ली के रेगिस्तान में भटकने और उत्तर प्रदेश के समुद्री किनारों को देखने के बाद बिहार की सीमा में प्रवेश कर गए। वहां जाते ही नारियल के पेड़ों से हरे हरे अमरूद तोड़कर खाने के पश्चात झारखंड की तरफ बढ़े। वहां की वादियों ने रास्ते में बुरांश के फूलों को बिछाकर हमारा स्वागत किया। वहां से थोड़ा आगे बढ़कर पंजाब की सीमा में प्रवेश कर गए तो देखा कि पूरे सिक्किम की खूबसूरती पंजाब की सड़कों पर बिछी है। पंजाब में सिक्किम की खूबसूरती को निहारने के बाद हम अरुणाचल प्रदेश से पाकिस्तान बाॅर्डर देखने के बाद सीधा बाघा-अटारी बाॅर्डर से श्रीलंका को निहारने के बाद सीधे वहां से बंगाल जाने का सोचे और उधर ही चल पड़े और बंगाल की धरती पर पवित्र प्रयागराज का संगम देखने के बाद हम आंध्रप्रदेश में चिनाब नदी पर बन रहे पुल को देखने के बाद हरियाणा गए। हरियाणा में हमने देखा कि कैसे वहां की खेतों में धान-गेहूं के पौधे पर केरल के मसाले उग रहे हैं। फिर उसके बाद हम जम्मू-कश्मीर की वादियों में भ्रमण करने लगे। यहां के सेब के खूबसूरत बगीचों में हरेक पेड़ पर रंग-बिरंगी मछलियां लटक रही थीं और मछुआरे जाल लेकर पेड़ पर लटक रहे मछलियों का शिकार कर रहे थे।
अब हमारा सफर उत्तर से सीधे दक्षिण की तरफ बढ़ चला। कश्मीर से हम सीधे तमिलनाडु पहुंचे और वहां के सर्द मौसम में स्वेटर और जैकेट के बाजारों में घूमने के बाद हिमाचल की तरफ गए। हिमाचल में गर्मी की तपिश को झेलने के बाद हम वहां से सीधे मणिपुर गए, जहां हमने टिहरी बांध देखा और फिर छत्तीसगढ़ जाकर ब्रह्मपुत्र नदी पर बने सबसे बड़े सड़क पुल पर लम्बी लम्बी रेलों को चलते देखने के बाद हम कर्नाटक पहुंचे और वहां की ठंडी हवा जब हमसे सहन नहीं हुई तो गोआ की बर्फीली वादियों से गुजरते हुए सीधे छत्त्तीसगढ़ पहुंच गए। और छत्तीसगढ़ में नारियल के बगीचे में आमपन्ना पीने के बाद हम पहुंच गए त्रिपुरा और फिर त्रिपुरा में ज्वालामुखी देखने के बाद राजस्थान पहुंचे। राजस्थान की बारिश को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे कि बरसात सब कुछ डूबा देगी। उस बरसात के डर से भागकर हमने सीधा सीधे रुख किया अपने उत्तराखंड का। उत्तराखंड पहुंचकर जैसे ही हमने यहां के रेगिस्तान में रेत के बड़े बड़े टीलों को देखा तो मेरा सपना टूट गया। और सपना टूटते ही हमने देखा कि बाॅस हमें लतियाकर आॅफिस से बाहर भगा रहा है और उस दिन से हम नौकरी की तलाश में ईधर-उधर भटक रहे हैं। और ऐसे ही भटकते हुए हम पहुंच गए मध्य प्रदेश जहां एक जगह मेरे लिए कुछ काम मिल गया और वहीं काम करके जीवन यापन करने लगे।
अरे बाबा रे!! आपके सपने तो मुझे इतने चक्कर लगाए कि अब ऐसा लग रहा है जैसे मैं घनचकक्र बन गया हूँ। ऐसे सपने न देखा करें और अगर देखें तो यहाँ न डाला करें... हा हा हा
ReplyDeleteइस सपने के लिए हम नहीं हमारे दद्दा चंद्रेश कुमार जी जिम्मेदार हैं, उन्होंने सिक्किम घुमाने का वादा किया था, सारी प्लानिंग भी हुई थी पर जाने के दो दिन पहले किसी कारणवश जाना नहीं हो पाया तो उसी गम को दूर करने के लिए हमने संपूर्ण भारत घूम लिया, अब आपको चक्कर आया तो इसके लिए हम नहीं सिक्किम जिम्मेदार है क्योंकि वो हमें क्यों नहीं बुलाया अपने पास। इसलिए आप अब झोला उठाकर सिक्किम की ओर जाइए और उससे हिसाब किताब कीजिए, और हिसाब पूरा होने के बाद हो भागफल और शेषफल जो भी बचे उसमें से शेषफल आप ले लीजिएगा और भागफल हमंे दे दीजिएगा।
Deleteजी अब तो यही करना पड़ेगा। ही ही। जल्द ही सिक्किम से हिसाब किताब करना पड़ेगा।
Deleteहां जल्दी जाइए तो हमें भी सिक्किम के कुछ फोटो देखने मिल जाएंगे और साथ रोचक रोचक वृत्तांत।
DeleteAre..shab ji aise sapne mat dehakro ...mera to sar hi ghum gya ....but nice BLOG bnaya h aapne. Thanks 🤗
Deleteबहुत सारा धन्यवाद आपको।
Deleteसपने तो आते जाते ही रहते हैं और कभी कभी ऐसे भी सपने आ जाते हैं और कुछ और भी इस तरह के खतरनाक सपने हैं जो कभी पोस्ट करेंगे।