Tuesday, November 26, 2019

राम झूला (ऋषिकेश) को रोमांच (Thrill of Ram Jhula)

राम झूला (ऋषिकेश) को रोमांच (Thrill of Ram Jhula)




सफर के रोमांच का मजा लेना चाहते हैं तो रात के सन्नाटे में तेज हवा के झोंकों के बीच बिल्कुल अकेले ऋषिकेश में रामझूला अवश्य पार करें और उस पल के अद्भुत रोमांच को महसूस करें। ऋषिकेश स्थित राम झूला और लक्ष्मण झूला का आज तक हमने केवल नाम ही सुना था पर कभी देखा नहीं था। पर अचानक हुई यात्रा में हमें इसे देखने का मौका मिल गया। 30 मार्च 2019 रात को तीन बजे ऋषिकेश पहुंचे और पैदल ही चल पड़े राम झूला की तरफ। रात के सन्नाटे को चीरते हम केवल तीन लोग (मैं, पत्नी कंचन और बेटा आदित्या) तीर्थनगरी की सड़कों पर बढ़े जा रहे थे। बस स्टेशन से चन्द्रभागा पुल तक एक भी इंसान दिखाई नहीं दे रहा था, बस एक-दो बसें ही थी जो आ-जा रही थी और हम सब डरे-सहमे ऐसे ही आगे बढ़ते जा रहे थे। कभी कभी एक-दो कुक्कुर महाराज जी भौंकते हुए बगल से गुजर जाते तो कभी खड़े होकर अपने संगीत सुनाकर डराने का असफल प्रयास करते, लेकिन हम तो बस अपने धुन में चले ही जा रहे थे।

जैसा कि मित्र रवि त्रिवेदी जी ने बताया था कि चन्द्रभागा पुल के पास जाकर ऑटो लीजिएगा (वैसे उन्हें इस बात का अंदेशा नहीं था कि हम इतनी रात रहते ही यहां पहुंच जाएंगे और अंदेशा तो मुझे भी नहीं कि इतनी रात में ही पहुंच जाएंगे)। चन्द्रभागा पुल पर पहुंचने पर कोई ऑटो नहीं मिला तो पैदल ही चल पड़े राम झूला की तरफ और सड़क के दोनों तरफ खम्भों पर जलते बल्बों की रोशनी के बीच रात के सन्नाटे में आगे बढ़ते चले जा रहे थे। करीब आधी दूरी हमने पैदल ही तय कर लिया तो एक ऑटो वाला आया और रामझूला कहते हुए हमारे बगल में रुक गया, तत्पश्चात् हम सब ऑटो में बैठे और ऑटो वाला आगे चल पड़ा।

बस दो-तीन मिनट के सफर के बाद ऑटो वाला एक जगह पहुंचकर रुक गया पर हम वैसे ही ऑटो में बैठे ही रहे तो ऑटो वाले ने मुझे उतरने का ईशारा किया। उतरने के नाम पर हमने ऑटो वाले से कहा कि कहां है राम झूला यहां तो है ही नहीं तो हम क्यों उतरे। तब उसने रास्ता बताते हुए कहा कि इसी रास्ते पर चले जाइए कुछ ही दूर आगे राम झूला है और यहां से आगे ऑटो नहीं जाता। इसके बाद हम ऑटो से उतरे और तीन लोगों के 10 रुपए प्रति सवारी के हिसाब से हमने उसे 30 रुपए दिए और ईधर-उधर देखने लगे कि इतनी रात में जाएं तो कहां और केसे जाएं। ईधर हम ये सोच ही रहे थे कि उतने देर में ऑटो वाला जिधर से आया था उधर ही वापस चला गया।

ऑटो वाले के जाने के बाद हमने वहीं खड़े पुलिस वाले से रामझूला जाने का रास्ता बताया पूछा तो उन लोगों ने उधर की ओर ही ईशारा किया जिधर ऑटो वाले ने बताया था और उसके बाद हम सब उसी तरफ चल पड़े। सड़क के दोनों तरफ बंद दुकानें सुबह आने वाले ग्राहकों का इंतजार कर रही थी और सुनसान सड़कें आने वाले मुसाफिरों का। हम कुछ दूर ही आगे बढ़े थे कि रोशनी से सराबोर कुछ दिखाई देने लगा तो हमने दूर से उसका एक फोटो लिया और चलते रहे कि पता नहीं राम झूला कितनी दूर होगा। खैर कुछ ही दूर चले कि रोशनी से सराबोर वहीं चीज रामझूला में बदल गया।

नीचे एक सभ्यता और संस्कृति को अपने गोद में पालने वाली जीवनदायिनी गंगा बह रही थी और ऊपर आसमाान में मुस्काराता हुआ चांद चमक रहा था और बीच में रोशनी से सराबोर रामझूला शांतचित होकर आने वाले पथिकों का इंतजार कर रहा था। पूरे वेग से बहती हुई हवा ही इस समय वहां एकलौता मुसाफिर था, अकेला पथिक था जो हम तीन लोगों को देखकर ही कहने लगा कि वो रात के राही, अंधेरे के मुसाफिर तुम सब इस समय कहां से आ गए, ये तो मेरा समय है और इस समय इस रास्ते पर मैं अकेला ही चलता हूं। हमने उसे बताया कि हम तो बस कुछ देर के मुसाफिर हैं और हम चले जाएंगे उसके बाद फिर से इन रास्तों पर तुम्हारा ही अधिकार होगा और उसके बाद हम आगे चल पड़े।

पहला ही कदम रामझूला पर रखे तो एक नए रोमांच का अनुभव हुआ। पांच-दस कदम चलने के पश्चात् ही ऐसा अनुभव हुआ जैसे ये तो सच में झूला है जिसमें कंपन भी है और ऐसा प्रतीत हुआ जैसे ये हिल रहा है। हम उत्साहित होकर चार कदम आगे बढ़ाते और ये कहते एक कदम वापस आ जाते कि अरे ये तो हिलता भी है, इसमें कंपन भी है, ये तो झूले की तरह हिल रहा है। ऐसे ही चार कदम आगे, दो कदम पीछे करते हुए मन में खयाल आता कि अभी नहीं उस पार नहीं जाना और सुबह हाने का इंतजार करते हैं, पर सुबह होने में अभी करीब दो घंटे का समय बाकी था तो दो घंटे वहां ऐसे ही रुके भी नहीं रह सकते थे। अब उस पार जाऊं या यहीं खड़े रहूं सोचते हुए कुछ पल बीत गए और ध्यान आया तो देखा कि पत्नी और बेटा आगे जा चुके हैं। अब मेरे साथ मरता क्या न करता वाले हालात थे तो हम भी चल पड़े रामझूला के पथ पर।

अब तो उस तरफ जाना ही है तो डर कैसा। चलो चलते हैं कहते हुए हम भी अपने कदम उस पार जाने के लिए बढ़ा दिए। कुछ कदम चलने के बाद जब हम झूले के करीब करीब मध्य में पहुंचे तो एक बाइक वाला आता हुआ दिखा जो डगमग डगमग करते हुए बाइक को मेरे आगे से निकाल ले गया। उसके जाने के बाद हम करीब दस मिनट तक वहीं पुल पर से ही इस रोमांच का अनुभव करते रहे। वहीं एक जगह पर खड़े होकर कभी दाएं तो कभी बाएं, कभी आगे तो कभी पीछे घूम-घूम कर रात की उस खूबसूरती को देखते रहे साथ ही उस पुल से पार होने के रोमांच का अनुभव लेते रहे क्योंकि दुबारा यहां आए तो ये तो गारंटी नहीं है कि लोग यहां नहीं रहेंगे तो अकेले इस रोमांच का अनुभव जी भर कर लेते हैं क्योंकि इस समय न तो यहां भीड़ है, न ही कोई आगे चलो, आगे चलो और अरे यहां मत रुको, भीड़ इकट्ठा मत करो आदि शब्दों को कहने वाला भी कोई नहीं है।

धीरे धीरे कदम बढ़ाते हुए हम कुछ मिनट में रामझूला के पथ पर झूलते और चलते हुए गंगा के दूसरी तरफ पहुंच चुके थे लेकिन इस झूले से पार होने का रोमांच अंतर्मन में कहीं ऐसे समाहित हो गया जैसे कुछ पल और यहां रुकना चाहता हो। मन के अंदर से यही आवाज आ रही थी ओ रात के मुसाफिर कुल पल गुजार ले यहीं पर वरना ऐसा मौका फिर तुम्हें कभी नहीं मिलने वाला। मन की आवाज जैसे ही कानों तक पहुंची तो वैसे ही पैरों में भी एक हलचल हुई और मेरे कदम वापस उसी तरफ मुड़ गए जिस तरफ से हम आए थे।

कुछ कदम चलते ही आदित्या की आवाज आई कि पापाजी उधर किधर चले। हमने उसे कहा कि तुम सब भी आ जाओ एक बार उस तरफ चलते हैं फिर दुबारा इस तरफ आएंगे। मेरी बात सुनते ही मेरे कदमों के पीछे दो और लोगों के कदमों की आवाज आने लगी थी। कुछ पहले महसूस किए गए रोमांच को एक बार पुनः महसूस करने के लिए हम तीनों के कदम एक बार पुनः उसी रास्ते पर चल पड़े थे और कुछ मिनट बाद हम फिर से वहीं आ चुके थे जहां से हमने सफर शुरू किया था। एक बार पुनः उस पार जाने के बाद अब फिर बारी आई अपने मंजिल की तरफ बढ़ने का लेकिन रास्ते का ये रोमांच मेरे मन से जा ही नहीं रहा था। ऐसा लग रहा था कि बार-बार यहीं इस तरफ से उस तरफ आते जाते रहे।

इस तरफ से उस तरफ जाना और फिर उस तरफ से इस तरफ आने के बाद एक बार पुनः उस तरफ जाने की बारी आई क्योंकि हमारा पड़ाव तो उस तरफ ही था, तो एक बार फिर से हमारे कदम उसी झूले की तरफ बढ़ चले। कुछ ही मिनट में हमने तीन बार उस स्तब्ध और निःशब्द रात्रि में तेज हवा के मदमस्त झोंको के बीच रोशनी से सराबोर झूला पूल को पार किया और अपने सफर के रोमांच में एक और ऐसा अध्याय जोड़ लिया जिसका रोमांच याद आते ही मन-मस्तिष्क में एक खुशी की लहर दौड़ती रहेगी और फिर से कभी जीवन में उस रोमांच को अनुभव करने के लिए मौके तलाशते रहेगी।



रोशनी में सराबोर गंगा की धारा और रामझूला

रामझूला को निहारता हुआ चांद

रामझूला और दूसरे तरफ से आते हुए बाइक की रोशनी

शांत और नीरवता धारण किए हुए रामझूला

तारों वाली चांदनी रात में रामझूला और जीवनदायिनी गंगा



1 comment:

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