केदारनाथ से वापसी
पाँचवाँ दिन
कल जिस उमंग और उत्साह से गौरीकुंड से केदारनाथ आये थे आज उसके विपरीत उदास और भारी मन से केदारनाथ से वापसी की राह पकड़नी थी। यहाँ से जाने का मन तो नहीं हो रहा था पर वापस तो जाना ही था। आज हमारी यात्रा केदारनाथ से गौरीकुंड तक पैदल मार्ग और उसके आगे गौरीकुंड से गौचर तक बस यात्रा की थी।
4 दिन तक जो 3 बजे ही जागने की आदत हो गयी थी उसके वजह से आज हम बिना अलार्म बजे ही 3 बजे जग गए। सारा सामान पैक किया और सारी तैयारी करते करते 4 :30 हो गए थे। अब हम निकलने की सोच ही रहे थे कि एक आदमी चाय की बड़ी से केतली लेकर आया जो हरेक हट जिसमें लाइट जल रही थी उसमें चाय दे रहा था। उसने हम लोगों को भी चाय दी। उसके चाय की कीमत जो थी बहुत ही आश्चर्यजनक थी। एक कप चाय केवल 10 रुपए। इतनी ऊँचाई पर 10 रुपए में चाय बहुत कम लग रही थी। यहाँ तो उसकी कीमत 20 रुपए भी होती तो कम होती। उसके बाद मैंने उससे पूछा कि जाने से पहले किसे बताना होगा तब उसने कहा कि किसी को बताने की जरुरत नहीं है आप अपना सामान लेकर जा सकते हैं। उसके बाद वो दूसरे को चाय देने चला गया।
कल जिस उमंग और उत्साह से गौरीकुंड से केदारनाथ आये थे आज उसके विपरीत उदास और भारी मन से केदारनाथ से वापसी की राह पकड़नी थी। यहाँ से जाने का मन तो नहीं हो रहा था पर वापस तो जाना ही था। आज हमारी यात्रा केदारनाथ से गौरीकुंड तक पैदल मार्ग और उसके आगे गौरीकुंड से गौचर तक बस यात्रा की थी।
4 दिन तक जो 3 बजे ही जागने की आदत हो गयी थी उसके वजह से आज हम बिना अलार्म बजे ही 3 बजे जग गए। सारा सामान पैक किया और सारी तैयारी करते करते 4 :30 हो गए थे। अब हम निकलने की सोच ही रहे थे कि एक आदमी चाय की बड़ी से केतली लेकर आया जो हरेक हट जिसमें लाइट जल रही थी उसमें चाय दे रहा था। उसने हम लोगों को भी चाय दी। उसके चाय की कीमत जो थी बहुत ही आश्चर्यजनक थी। एक कप चाय केवल 10 रुपए। इतनी ऊँचाई पर 10 रुपए में चाय बहुत कम लग रही थी। यहाँ तो उसकी कीमत 20 रुपए भी होती तो कम होती। उसके बाद मैंने उससे पूछा कि जाने से पहले किसे बताना होगा तब उसने कहा कि किसी को बताने की जरुरत नहीं है आप अपना सामान लेकर जा सकते हैं। उसके बाद वो दूसरे को चाय देने चला गया।