चिंतपूर्णी देवी (Chintpoorni Devi)
वैसे तो मुझे कहाँ जाना है इसके बारे में कोई योजना तो थी नहीं। बस जिधर मन हुआ उधर चले जाना था। पर फिर भी मैक्लोडगंज में बस पर बैठते ही मैंने चिंतपूर्णी देवी जाने का सोचा। इस समय 1:45 बजे थे। बस चली और 2 :15 बजे हम धर्मशाला पहुँच गए। वहां उतरे तो देखा कि ज्वाला देवी जाने के लिए एक बस जाने के लिए तैयार खड़ी है। मैं बस में घुसा और सबसे आगे की सीट पर बैठ गया। बस 2 मिनट में ही ज्वाला देवी के लिए चली। कंडक्टर के आने पर मैंने उसे कहा कि मुझे चिंतपूर्णी देवी जाना है इसलिए आप मुझे काँगड़ा की टिकट दे दो, वहां से मैं दूसरी बस से चिंतपूर्णी देवी चला जाऊँगा। मेरी इस बात का उसने रुखा सा जवाब दिया कि काँगड़ा से चिंतपूर्णी देवी की बस नहीं मिलती है, इसी बस से आपको ज्वालादेवी जाना होगा फिर वहाँ से आपको चिंतपूर्णी देवी की बस मिलेगी। फिर भी मैंने काँगड़ा का ही टिकट लिया कि जो होगा देखा जाएगा अगर बस नहीं मिली तो जहाँ रात होगी वहीं सो जाएंगे। खैर करीब 3 बजे हम काँगड़ा पहुंच गए। वहां बस पर से ही एक बस दिखी जो चिंतपूर्णी देवी जा रही थी। मैं इस बस से उतरा और उस बस में बैठ गया।
बस चली और जिस रास्ते से हम सुबह आये थे उसी रास्ते से हुए 5 :30 बजे चिंतपूर्णी देवी पहुँच गए। रास्ते में एक बगलामुखी का मंदिर पड़ता है, वहां मैं उतरना चाहता था पर समय के अभाव के कारण वहां नहीं उतर सका। शाम होने वाली थी और यदि मैं वहां मंदिर के दर्शन के लिए रुक जाता तो मेरे लिए रात में रहने की परेशानी होती क्योंकि यहाँ ऐसा कुछ था नहीं जहाँ रात में ठहरा जा सके। वैसे तो इस मंदिर में भी जाने का बहुत मन था पर यहाँ रात में रात में रुके की कोई सुविधा नहीं होने के कारण चाहकर भी मैं यहाँ उतर न सका। सोचा यहाँ फिर कभी आएंगे।
चिंतपूर्णी देवी में उतरने के पहली समस्या कमरा लेने की थी। बड़ी मोल-भाव के बाद एक बढ़िया और साफ सुथरा कमरा मिल गया जिसका किराया 400 रूपये था। मैं जल्दी से नहा-धोकर तैयार हुआ और मंदिर की तरफ चल दिया। मंदिर में दर्शन का समय 10 बजे तक होता है और अभी 6 :15 बजे थे। होटल से मंदिर तक पहुँचने में मुझ करीब 10 मिनट लगे होंगे। मंदिर के पास पहुँचते ही देखा कि लम्बी लम्बी 2 लाइनें लगी हुई है। मैं भी एक लाइन में खड़ा हो गया। आगे चलकर दोनों लाइन दो तरफ को बँट जाती है जो फिर से मंदिर के पास पहुँच कर एक हो जाती है।
3 घंटे बाद करीब 9 बजे उस जगह खड़ा था जहाँ माँ छिन्मस्तिका पिंडी रूप में विराजमान हैं। उस अद्भुत दृश्य को देखने के लिए बस 5 सेकंड का समय मिला। उसके बाद हम कुछ देर मंदिर परिसर में ही इधर उधर घूम कर व्यतीत किये। दिन होता तो तो 1 घंटे जरूर मंदिर में गुजारता पर रात होने के कारण जल्दी ही मैं मंदिर से निकल गया। मंदिर से निकलकर सीधा मैं होटल आया। सुबह से कुछ खाया नहीं था। भूख बहुत जोर की लगी थी। बगल में ही एक ढाबे पर खाना खाया। जो खाना उन लोगों ने मुझे दिया शायद इतनी तेज़ भूख लगी न होती तो मैं उस खाने को कभी नहीं खाता। खैर किसी तरह से आधा खाना खाया और अपने होटल आ गया और सोने की तैयारी करने लगा। सोने से पहले कल की प्लानिंग भी कर ली। कल मुझे यहाँ से बैजनाथ और फिर बैजनाथ से पठानकोट।
10:30 बज चुके थे। एक बार घर के लोगो से बात करने के बाद मैं सो गया।
मंदिर में दर्शन का समय
सर्दियों में सुबह 6 बजे से रात 9 बजे तक (आश्विन माह के नवरात्रि से)
गर्मियों में सुबह 5 बजे से रात 10 बजे तक (चैत्र माह के नवरात्रि से)
जाने के साधन
सड़क मार्ग : चिंतपूर्णी देवी के लिए पंजाब के होशियारपुर से बहुतायत में बसें मिलती हैं। और यदि आप चाहे तो पठानकोट काँगड़ा और उसके बाद काँगड़ा भी चिंतपूर्णी देवी जा सकते हैं।
वायु मार्ग : ज्वालादेवी तक पहुँचने के लिए वैसे तो कोई सीधे हवाई साधन नहीं है। नजदीकी हवाई अड्डा गग्गल एयरपोर्ट है। यहाँ से कांगड़ा और फिर काँगड़ा से चिंतपूर्णी देवी के लिए बसें उपलब्ध है।
रेल मार्ग : ज्वालादेवी कहीं से भी रेल मार्ग से जुड़ा नहीं है। यहाँ के लिए नज़दीकी रेलवे स्टेशन होशियारपुर है जो देश के कई शहरों से रेल मार्ग से जुड़ा है। होशियारपुर से चिंतपूर्णी देवी की दुरी सड़क मार्ग से 50 किलोमीटर है और यहाँ से बसें भी बहुतायत में उपलब्ध है। रेल द्वारा जाने का दूसरा रास्ता पठानकोट से जोगिन्दर नगर रूट पर स्थित ज्वालामुखी रेलवे स्टेशन है। यहाँ से भी बस द्वारा चिंतपूर्णी पहुँच सकते हैं।
कहाँ ठहरें : यहाँ रुकने के लिए होटल और गेस्ट हाउस की कोई कमी नहीं है। यहाँ पर्यटकों के लिए भी गेस्ट हाउस हैं तो घुमक्कड़ों के लिए भी अच्छा ठिकाना मिल जाता है। आप चाहे तो किसी धर्मशाला में भी ठहर सकते हैं।
इससे आगे की यात्रा का विवरण हम अपने अगले भाग में देंगे। बस जल्दी ही अगला भाग भी आपके सामने होगा। बस थोड़ा प्यार और आशीर्वाद बनाये रखिये।
काँगड़ा यात्रा के अन्य भाग
अब कुछ फोटो हो जाये :
चिंतपूर्णी देवी मंदिर के पास पंक्ति में खड़े श्रद्धालु |
बगलामुखी देवी के पास से बहती एक नदी (नाम मुझे नहीं पता ) |
बस जंगल और बादल |
बस जंगल और बादल |
बस जंगल और बादल |
सड़क की मरम्मत |
सुकून देने वाली वादियां |
सुकून देने वाली वादियां |
गेस्ट हाउस के पीछे सड़क पर खड़ी गाड़ियां |
गेस्ट हाउस के पीछे दूर दूर तक जंगल ही जंगल |
गेस्ट हाउस के पीछे दूर दूर तक जंगल ही जंगल |
गेस्ट हाउस के पीछे दूर दूर तक जंगल ही जंगल |
सूर्यास्त का एक दृश्य, ऐसा लग रहा है जैसे सूरज देवता एक नहीं दो हैं |
चिंतपूर्णी देवी मंदिर का रास्ता |
चिंतपूर्णी देवी मंदिर के पास पंक्ति में खड़े श्रद्धालु |
चिंतपूर्णी देवी मंदिर के पास पंक्ति में खड़े श्रद्धालु |
अपनी बारी का इंतज़ार करते लोग |
मंदिर परिसरम में लालजी आदि शक्ति की प्रतिमा |
मंदिर में मैं भी |
पेड़ में मौली-चुन्नी बांधते लोग |
काँगड़ा यात्रा के अन्य भाग
संक्षिप्त लेकिन जानकारी से परिपूर्ण पोस्ट
ReplyDeleteइस यात्रा में ज्यादा कुछ लिखने का था नहीं इसलिए संक्षिप्त ही लिखना पड़ा
Deleteजानकारी युक्त पोस्ट ...बढ़िया...
ReplyDeleteहम भी आजतक चिंतपूर्णी न जा पाए. देखे कब जाना होता है
और हां जब चिंतपूर्णी जाइएगा तो ज्वालादेवी, बगलामुखी, भी जरूर जाइएगा
Deleteज्वाला देवी और कागड़ा की यात्रा कर चुके है
Deleteअच्छा है आप ज्वालादेवी और काँगड़ा हो आये है। पर अबकी बार चिंतपूर्णी दरबार
DeleteChintpurni ke pass una station he
Deleteबहुत बहुत धन्यवाद बताने के लिए
Delete