Thursday, January 5, 2017

रघुनाथ मंदिर, जम्मू (Raghunath Temple, Jammu)

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रघुनाथ मंदिर, जम्मू


रघुनाथ मंदिर के बारे में 

रघुनाथ मंदिर का निर्माण 1857 में महाराजा रणवीर सिंह और उनके पिता महाराजा गुलाब सिंह द्वारा करवाया गया था। इस मंदिर में 7 ऐतिहासिक धार्मिक स्‍थल मौजूद है। मंदिर के आन्‍तरिक हिस्‍सों में सोना लगा हुआ है जो तेज का स्‍वरूप है। मंदिर में कई देवी और देवताओं की मूर्ति लगी हुई है। इस मंदिर में हिंदू धर्म के 33 करोड़ देवी और देवताओं की लिंगम भी बने है जो मंदिरों में एक इतिहास है। श्रद्धालुओं को यहां आकर काफी आश्‍चर्य होता है।

  • यह मन्दिर आकर्षक कलात्मकता का विशिष्ट उदाहरण है।
  • रघुनाथ मंदिर भगवान राम को समर्पित है।
  • यह मंदिर उत्तर भारत के सबसे प्रमुख एवं अनोखे मंदिरों में से एक है।
  • इस मंदिर को सन् 1835 में इसे महाराज गुलाब सिंह ने बनवाना शुरू किया पर निर्माण की समाप्ति राजा रंजीत सिंह के काल में हुई।
  • मंदिर के भीतर की दीवारों पर तीन तरफ से सोने की परत चढ़ी हुई है।
  • इसके अलावा मंदिर के चारों ओर कई मंदिर स्थित है जिनका सम्बन्ध रामायण काल के देवी-देवताओं से हैं।
  • रघुनाथ मन्दिर में की गई नक़्क़ाशी को देख कर पर्यटक एक अद्भुत सम्मोहन में बंध कर मन्त्र-मुग्ध से हो जाते हैं।

रघुनाथ मंदिर जम्मू (फोटो इन्टरनेट से)






अब यात्रा के बारे में 

वैष्णो देवी से लौटते हुए जब हम 11 बजे जम्मू पहुँच गए थे।  हमारी ट्रेन शाम को 7 बजे थी।  हमने जम्मू में रुकने  के लिए रिटायरिंग रूम बुक किया हुआ था। यहाँ आने  हमने कुछ देर  किया और जम्मू घूमने का सोचा क्योंकि अभी मेरे पास मेरे पर जम्मू घूमने के लिए पूरे 6  घंटे का समय था।  हम पहली  मंज़िल  स्थित रिटायरिंग रूम  नीचे आये और वहाँ एक पुलिस वाले  पूछा कि मुझे रघुनाथ मंदिर जाना है।  मेरी  बात सुनकर उसने कहा  कि जून के इस गर्मी में आप दोपहर में कहा जाओगे शाम को घूम लेना। मैंने उसे कहा कि शाम को मेरी ट्रेन है इसिलए हम अभी जाना चाहते हैं तो उसने बताया कि रघुनाथ मंदिर जाने के लिए तवी नदी के पार जाना होगा क्योकि मंदिर मेन टाउन में है।  वहाँ जाने के लिए आपको बाहर से बस मिल जायेगी या आप ऑटो भी रिज़र्व कर सकते हैं पर यदि आप ऑटो से जाएँ 100 रुपए से ज्यादा नहीं देना। 

घड़ी में दोपहर के ठीक 12 बज रहे थे।  हम स्टेशन से बाहर  आए और एक ऑटो वाले से रघुनाथ मंदिर चलने के लिए कहा तो उसने 150 रुपए माँगा। मैंने  उसे कहा कि मैं 100 रूपये से ज्यादा नहीं दूँगा तो उसने कहा कि बहुत दूर है मैं 150 रुपए से कम में नहीं जा सकता।  मैंने उसे कहा कि बस 100 रुपए इससे ज्यादा 1 रुपया भी नहीं दूंगा मैं बस से चला जाऊंगा।  अब उसने कहा कि चलिए बैठिये।  हम सब बैठ गए।  ऑटो वाला बाजार  से होते हुए मुख्य सड़क पर आ गया और तवी नदी पर करके कुछ देर बाद हमें रघुनाथ मंदिर के पास पहुँचा दिया। 

रघुनाथ मंदिर जम्मू (फोटो इन्टरनेट से)


हम लोग ऑटो से बाहर निकले तो गर्मी का अहसास हुआ।  जून का महीना ऊपर से दोपहर इतनी गर्मी में धुप मेरे लिए असहनीय हो रहा था। जैसे ही हम मंदिर के गेट पर पहुँच तो वहां खड़े गार्ड ने बताया कि मंदिर में पर्स, बेल्ट, कैमरा आदि कुछ भी नहीं ले जा सकते हैं तो मैंने  उसको कहा कि मैं इन चीज़ों को रखूंगा कहाँ? उसने मुझे बताया कि गेट के बाहर दाहिने साइड में  काउंटर बना है जो मंदिर द्वारा ही संचालित किया जाता है। आप वहां सामान रख दे और पर्ची और जिस लॉकर में सामान रखें उसकी चाभी ले लें।


अभी तक 1 बज चुका था। मैं उस काउंटर पर गया जाना सामान रखा जाता था। वहां बेल्ट, पर्स, पेन, मोबाइल आदि सभी सामान दिया। उसने एक लॉकर में सामान रखा और उसमे ताला लगाकर उसकी चाभी मुझे दे दिया और एक पर्ची पर लॉकर नंबर, रखने का समय और रखे गए सामान का नाम आदि लिखकर दे दिया।  हम वहां से चलकर मंदिर के गेट पर गए वही जूते चप्पल आदि रखने का स्थान बना था। मैंने जूते आदि वहीं रख दिया। उस जगह पर छाया थी तो ये पता नहीं चला कि आगे बढ़ने  अनुभव होगा। गर्मी इतनी ज्यादा थी कि बिलकुल असहनीय थी।  हम आगे बढे और जैसे ही धुप में गए तो फर्श पर पैर रखते ही ऐसा लगा कि जैसे जलते हुए चूल्हे पर रखे गरम तवे पर पैर रख दिया हो।  पैर में छाले पड़ने लगे थे। पर थोड़ा आगे बढ़ने पर हर जगह फर्श पर कालीन बिछी हुई थी उसी पर चलना था। यदि कालीन नहीं होती तो वहां जाने वाले सारे लोग बेहोश होकर गिर जाते क्योंकि ऊपर से सूरज की गर्मी वो भी जून की और नीचे गरम तवे जैसी जल रही धरती। खैर हम आगे बढे और पूरा मंदिर घुमा। यहाँ जितने भी देवी-देवता हैं सबकी प्रतिमाएं बनी हुई है।  मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित हैं।


इस मंदिर में हम लोग करीब 2 घंटे बिताए। मंदिर में कोना कोना घुमा पर अफ़सोस ये कि मंदिर में कैमरा नहीं लाने दिया जाता तो हम लोग कोई फोटो नहीं ले सके। करीब 3 बजे हम मंदिर से निकले से निकले।  वहीँ मार्केट में कुछ शॉपिंग की उसके बाद ऑटो बुक किया और रेलवे स्टेशन आ गए। 4 बजे हम स्टेशन पहुँच गए थे। अभी भी ट्रेन के खुलने में 3 घंटे का समय था। हम लोग सुबह 8 बजे ही कटरा में ब्रेकफास्ट किया था। भूख लग रही थी। हम स्टेशन से बाहर बने ढाबे पर खाना खाये।  60 रूपये पार्टी थाली उसका खाने का रेट था जिसमे 6 रोटी, 3 सब्ज़ी, चावल, दाल, सलाद था।  कहा जाये तो ये जितना खाना 60 रूपये में दे रहा था दिल्ली में तो इतने खाने का रेट 100 रूपये से ज्यादा होता है।  हम 3 आदमी थे पर 2 थाली में लेने पर भी हम पूरा खाना नहीं खा सके।

खाना खाने के बाद हम कुछ देर बाहर घूमने।  5:30 बजे रूम में आये।  1 घंटे आराम किये और 6 :30 बजे प्लेटफार्म पर आ गए।  10 मिनट बाद ट्रेन प्लेटफार्म पर आ गयी।  हम लोग ट्रेन में बैठ गए।  ठीक 7 :20 बजे ट्रेन चली और और अपने निर्धारित समय 4 :20 बजे से 20 मिनट यानी 4 बजे ही दिल्ली सराय रोहिल्ला स्टेशन पर पहुँच गयी।  वैसे तो अभी बहुत अँधेरा था और सुबह होने में 1 घंटे से ज्यादा का समय था पर दिल्ली जैसे शहर  में कहीं आने जाने के लिए दिन और रात में कोई अंतर नहीं है।  हम स्टेशन से बाहर आये और ऑटो बुक करके अपने घर आ गए और यहीं पर मेरी यात्रा समाप्त हुई।

उम्मीद है सभी पाठकों को मेरा ये यात्रा वृतांत पसंद आया होगा।  जो भी त्रुटि हुई हो उसके लिए क्षमा मांगता हूँ।

धन्यवाद।


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1 comment:

  1. आपने इस विषय को एक नए आयाम दिए हैं। मैं इसे बहुत पसंद किया है। जम्मू घूमने की जगह

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