अधूरा प्यार (Adhoora Pyar)
हकीकत तो ये थी तुम्हें दूर जाना था।
तुम चले गए और हम बस अकेले रह गए,
क्योंकि मुझे प्यार में वफा जो निभाना था।
मेरे शब्दों को पढ़ने वाले पूछते हैं कभी-कभी,
इतनी गहराई से लिखते हो क्या कोई अफसाना था।
तुम रहो या न रहो अब, मैं आंसू नहीं बहाऊंगा,
बहुत रुला चुके मुझे, तुम्हें जितना रुलाना था।
हम प्यार में थोड़े बेपरवाह क्या हो गए,
पर तेरे होठों पर मेरा नाम नहीं आना था।
दुनिया में सब करते हैं प्यार-मोहब्बत,
पर मुझे तो तुम पर खुद को लुटाना था।
उस दिन न तो तुम रूठी और न मैं रूठा था,
बस मंजिल पर आकर साथ अपना छूटा था।
✍️ अभ्यानन्द सिन्हा (10-02-2018)
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