Wednesday, June 30, 2021

हमारा संसार : जय-जय बिहार (Hamara Sansar: Jay Jay Bihar)

हमारा संसार : जय-जय बिहार (Hamara Sansar: Jay Jay Bihar)



(22 मार्च 2019
): मेरे प्यारे बिहार आज तुमने अपने जीवन का 107 साल पूरा कर लिया और 108वें वर्ष में प्रवेश करने की बहुत सारी बधाइयां शुभकामनाएं तुमको।

तुमने 22 मार्च 1912 को बंगाल से अलग होकर अपना एक अलग घर बसाया और समय के थपेड़ों को सहते हुए एक-एक वर्ष करते करते आज तुमने अपने जीवन का 107 वर्ष पूरा कर लिया। इन 107 वर्षों में तुमने क्या-क्या नहीं देखा। एक इंसान की तरह तुम्हें हर समय प्रताडि़त किया गया, तुम्हारी मेहनतकशी को लानते-तोहमतें दी गई, हर पल तुमको धराशायी करने का प्रयास चलता रहा फिर भी तुम उसी शान से खड़े रहे जिस शान से तुम सदियों और सहस्रों साल पहले खड़े थे।

आतताइयों को तुम्हारी समृद्ध संस्कृति पच नहीं पाई, तुमको देखकर उनके कलेजे छलनी होते रहे और फिर उन्होंने तुमको लूटना और बर्बाद करना आरंभ किया। अपने जी-जान भर वो जितना तुम्हारा विध्वंस कर सकते करते रहे और फिर भी तुम मुस्कुराते हुए उस दर्द को सहते रहे।

अपने अब तक के जीवन में तुमने तीन बार तो बंटवारे का दर्द सहा और हर बंटवारे में तुमको छला गया। बंटबारे का पहला दर्द तुमको तब मिला जब तुमको बंगाल से अलग किया गया और दूसरा दर्द तब दिया गया जब तुमको उड़ीसा से अलग किया गया। बंटवारे का तीसरा और सबसे बड़ा दर्द तुमको तब मिला जब तुमसे ही तुम्हारे हृदय को काटकर अलग करकेे झारखण्ड बना दिया गया। हर बार इन राजनीतिज्ञों ने अपने फायदे के लिए तुमको दर्द दिया और न जाने कब तक देते रहेंगे। हर बंटवारे तुम्हारे दामन में में दर्द ही दिया गया, कभी खुशियां तुम्हारी झोली में नहीं दिया गया फिर भी जीवनदायिनी गंगा के जल से अपने भूमि को सींचते हुए तुम हर बार उठ खड़े हुए।

तुम्हारी पवित्र मिट्टी से गंगा को भी इतना प्यार हो गया कि उसने तुम्हारी मिट्टी को अपना आंगन बना लिया और उसी गंगा के किनारे पर तुम्हारी बोली-भाषा, संस्कृति, शिक्षा-दीक्षा और पर्व-त्यौहार पलते और बसते हैं। तुम्हारी ही पवित्र मिट्टी में मगध, अंग, मिथिला, वज्जी आदि जैसी संस्कृतियों ने जन्म लिया और पले-बढ़े।

कभी तुम विहार थे और अपभ्रंशियों के कारण आज तुम विहार से बिहार बन गए हो लेकिन कालान्तर में तुम्हारी ही मिट्टी को मगध के नाम से जाना जाता था। जिसने न जाने कितने विद्वान, कितने शूर-वीर, कितने राजा-महाराजा इस देश को दिए और फिर भी तुम ही हर बार छले जाते रहे।

गंगा के विस्तृत जलोड़ और कछार की तुम्हारी यह मिट्टी समृद्ध रही है अपने मतवाले गजों और घनघोर साल के जंगलों से...! शिलागृहों और गर्तवासी आदिमानवों की शिकार-क्रीड़ांगन रही तुम्हारी यह मिट्टी संस्कृति सूर्य के चमकने पर जन से जनपद, जनपद से महाजनपद, महाजनपद से राज्य और राज्य से अखिल जम्बूद्वीप का केंद्र और निर्माणकर्ता रही है और इसने ही प्रथम साम्राज्य बने उस आर्यावर्त को भी बनाया।

हां तुम वही मगध हो, जिसकी वीरता से बंधे सीमाओं को न तो मुगल प्राप्त कर सके न ही ब्रिटिश। हां तुम वही मगध हो, जिसने देखा है बुद्ध के ज्ञान को, परखा है जीवक के औषधि को, महसूस किया है महावीर के निर्वाण को, झेला है अशोक के क्रोध को और बनाया है आर्यावर्त को।
हां तुम वही मगध हो, जो आज एक शापित अश्वत्थामा बना हुआ दर-दर भटक रहा है, और ठीक उसी तरह जैसे अश्वत्थामा के अस्तित्व को कभी मिटाया नहीं जा सका और न कभी मिटाया जा सकता है वैसे ही तुम्हारे अस्तित्व को भी कभी मिटाया नहीं जा सकता। हां तुम वही मगध हो, जहां फलती-फूलती थी एक पुरानी संस्कृति, जहां था दुनिया का पहला विद्यालय जिसकी शिक्षा की जलती लौ में देश-दुनिया के छात्र आकर अपनी शिक्षा की अग्नि को प्रज्वलित करते थे।

हां तुम वही मगध हो, जिसने एक-एक ईंट को अपनी मेहनत के गारे से जोड़ जोड़ कर निर्माण किया है आधुनिक भारत का और भारत के महानगरों का। आज वही निर्जीव तंत्र के रूप में खड़े महानगर जहां न तो कोई संस्कृति है, न ही कोई सम्मान है और वही निर्जीव महानगर आज अपने निर्माता को बिहारी शब्द से संबोधित करके ये सोच लेते हैं कि उन्होंने तुम्हारा अपमान कर दिया, तो ये उनकी भूल है कि तुम्हारा अपमान हुआ। तुम तो गुरु है पूरे आर्यावर्त का, पूरे विश्व का और गुरु का कभी अपमान नहीं किया जा सकता। गुरु का अपमान करने वाले का हश्र अब तक हरेक संस्कृतियों ने देखा और भुगता है।

हां तुम वही मगध हो, और मगध केवल शब्द नहीं है। यह बताता है तुमने तुम्हारे त्याग-बुद्धि-क्रोध-हिंसा-शांति का पर्याय बने तुम्हारीा मिट्टी के गौरव को जिसके कण-कण से आर्यावर्त के साम्राज्य बनने की नींव रखी गई। जो एक साथ ही हिंसा और अहिंसा के साथ हलचल का केंद्र बनकर आज बिहार बना और जिसने शरीर और दिमाग दोनों ही जगह पराकाष्ठा पर जाकर भारत को भारत बनाया।

हां तुम वही मगध हो, जो बिम्बिसार और अजातशत्रु जैसे राजाओं की जन्मभूमि रही है। हां तुम वही मगध हो, जिसकी गोद में सारिपुत्र और महामौदग्लयायन जैसे संत खेला करते थे। हां तुम वही मगध हो, जिसने दुनिया को पहला सर्जन वाला वैद्य दिया। हां तुम वही मगध हो, जिसने पूरी दुनिया को शांति का पाठ पढ़ाया। हां तुम वही मगध हो, जो बुद्ध के लिए सबसे प्यारा था। हां गंगा किनारे खड़ा हां तुम वही मगध हो, जिसकी मर्जी से पानी का रंग सफेद और लाल होता आया है, जिसने हिंसा के कोख से शांति का सृजन किया है। हां तुम वही मगध हो, तुम वही मगध हो।

फोटो 1 : नालंदा महाविहार
फोटो 2 : शांति स्तूप, राजगीर
फोटो 3 : सोन भंडार, राजगीर
फोटो 4 : मनियार मठ, राजगीर
फोटो 5 : नालंदा महाविहार
सभी फोटो फरवरी 2017 के हैं।


नालंदा महाविहार

शांति स्तूप, राजगीर

सोन भंडार, राजगीर

मनियार मठ, राजगीर

नालंदा महाविहार


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