Friday, July 14, 2017

मरीना बीच, चेन्नई (Marina Beach, Chennai)

मरीना बीच, चेन्नई (Marina Beach, Chennai)





सुबह 7 बजे चेन्नई सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर ट्रेन से उतरते ही हमारे सफर का पहला पड़ाव पूरा हो चुका था। यहाँ से आगे का हमारा अगला पड़ाव तिरुमला था, जिसका सफर हमें चेन्नई से तिरुपति तक ट्रेन से और उसके आगे तिरुपति से तिरुमला तक बस से तय करना था। चेन्नई से तिरुपति जाने वाली हमारी ट्रेन दोपहर बाद 2:15 बजे थी और अभी सुबह के 7 ही बजे थे मतलब मेरे पास 7 घंटे का समय था। अब 7 घंटे स्टेशन पर बैठ कर व्यतीत करना मुझे उचित नहीं लगा। अब बात ये थी कि जाएँ तो जाएं कहाँ। चेन्नई में कहीं जाना या रुकना नहीं था इसलिए यहाँ के लिए कुछ सोचा नहीं था। सोच कर तो यही आये थे कि ट्रेन 2-4 घंटे दो देर होगी ही, पर ट्रेन ने समयानुसार मुझे चेन्नई पंहुचा दिया इसलिए अभी मेरे साथ 'किं कर्तव्य विमूढ़' वाली स्थिति पैदा हो गयी थी। हम सोचने में लगे हुए और समय अपनी ही गति से चला जा रहा था। 

कहाँ जाएँ क्या करें के उधेड़बुन में ही बहुत समय व्यतीत हो गया। फिर गूगल बाबा का सहारा लिया तो नज़दीक में एग्मोर संग्रहालय और मरीना बीच की लोकेशन आई। पत्नी से बात हुई तो बोली कि मरीना बीच ही चलते क्योंकि वहां जाने पर हम लोग चाहे समंदर के खारे पानी से ही सही नहा तो लेंगे। अब जैसे ही हम स्टेशन से बाहर निकले तो एक आदमी "मैं हिंदी जानता हूँ" कहते हुए पीछे लगा गया और बार बार "कहां चलना है", "कहाँ जाना है" करने लगा। मैं उससे पीछा छुड़ाने की असफल कोशिश करता रहा और अंत में उससे बात करनी ही पड़ी। 300 रूपये में स्टेशन से मरीना बीच ले जाना, वहां 2 घंटे इंतज़ार करना और फिर वापस स्टेशन पर पहुंचाने की बात हुई।

उसके बाद उसने मुझे ऑटो में बैठाया जिसका चालक कोई और था। ऑटो में बैठ जाने के बाद वो तमिल में ऑटो वाले से बात करने लगा। उनकी बातें मेरी समझ में तो नहीं आ रही थी फिर भी समझने की कोशिश में लगा रहा। अचानक ही उनकी बात में कुछ अंग्रेजी के कुछ शब्द आए, जिसे सुनते ही मैं चौंक पड़ा। उनकी बातों का मतलब था कि स्टेशन से मरीना बीच तक केवल पहुँचाने का 400 रुपये। उनकी बातों को सुनते ही मैं ऑटो से उतरकर सबको उतरने के लिए बोला और अपना सामान उतारने लगा। जैसे ही हमने सामान उतारना शुरू किया वो एजेंट वहां से दूर हट गया और अब बात मेरी ऑटो वाले की रह गयी। आख़िरकार ऑटो वाले से 300 रूपये में मरीना बीच जाना और 2 घंटे इंतज़ार करना फिर वापस लाने की बात तय हुई।



हम उससे ये कहते हुए फिर से ऑटो में बैठे कि अगर तुमने फिर से कोई चालाकी किया तो हम पुलिस को फ़ोन करेंगे। ऑटो में बैठने के बाद एक और व्यक्ति को उसने ये कहते हुए बैठा लिया कि ये मेरे साथ ही रहता है। चेन्नई सेंट्रल स्टेशन से मरीना बीच की दूरी ज्यादा नहीं है, पर अनजान शहर में पास में दिखाई देती हुई चीज़ भी दूर लगती है। करीब 20 मिनट में  ही हम मरीना बीच पहुंच गए। यहाँ ऑटो से उतरने पर ऑटो वाले ने अपना नंबर दिया तथा अपना नाम गोविन्द बताया। 2 घंटे में ऑटो वाले ने मुझे वापस आ जाने के लिए कहा और अभी तक 8 बज रहे थे मतलब मुझे 10 बजे तक हर हाल में वापस आ जाना होगा।

सड़क से समुद्र की दूरी करीब 600 से 700 मीटर है और बीच में केवल बालू ही बालू है। दूर नीले नीले पानी से भरा समुद्र दिखाई देने लगा था पर उससे पहले रेगिस्तान जैसे फैले बालू के समुद्र के पार करना था। समुद्र तक जाने के लिए ढलाई वाला रास्ता भी बना हुआ था पर वो घूम कर जा रहा था और हम समुद्र को पास से देखने के लिए इतने रोमांचित थे कि जल्दी से जल्दी वहां तक पहुँच जाना चाहते थे। हमने शॉर्टकट रास्ता लिया और बालू के समुद्र के पार करते हुए असली समुद्र के पास पहुँच गए। पहली बार समुद्र को इतने पास से देखने का मौका मिला था, कुछ देर तो हम बस ऐसे ही समुद्र में दूर दूर तक दिख रहे नीले नीले पानी को देखते रहे। समंदर में दूर कुछ शिप भी तैर रहे थे, कुछ और दूर देखने पर ऐसा प्रतीत हो रहा था की समंदर और आकाश मिले हुए हैं। इसी तरह पानी के अथाह भंडार को देखते हुए कब 15 मिनट गुजर गए कुछ पता नहीं चला।

अब जब मरीना बीच (समुद्री किनारा) आ ही गए तो कुछ बातें इसके बारे में भी कर लेते हैं। मरीना बीच भारत का सबसे लम्बा और विश्व का दूसरा सबसे लम्बा बीच है। अगर इसका नाम मरीना बीच न होकर गोल्डन बीच (सुनहरा बीच) होता तो शायद ज्यादा सार्थक होता। यहाँ आकर कुछ अलग ही नज़ारा दिखाई देता है।  एक तरफ दूर दूर तक फैले बालू रेगिस्तान का भी अहसास कराते हैं और दूसरी तरफ दूर दूर तक बस पानी ही पानी। पानी की लहरें जब तट से टकराती है तो उस समय जो अनोखा नज़ारा होता है उसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। वैसे लोग कहते हैं कि यहाँ की खूबसूरती देखना हो तो सूर्यास्त के बाद आना चाहिए पर मेरे पास इस खूबसूरती को रात में देखने के लिए समय नहीं था। अगर अगली बार कभी यहाँ आना हुआ तो एक शाम मरीना बीच पर जरूर बिताएंगे। वहां के कुछ लोगो के अनुसार शाम के बाद ये जगह प्रेमी युगलों की सैरगाह बनी रहती है, पर मुझे तो सुबह में ही यहाँ वहां एक दो प्रेमी जोड़े दिख रहे थे, शायद उन्होंने सूर्योदय को सूर्यास्त समझ लिया होगा और यहाँ पहुँच गए होंगे। चलिए अब आगे की बात करते हैं।



शायद सुबह सुबह होने के कारण यहाँ पर अभी ज्यादा लोग नहीं थे, 2-4 पुलिस वाले घोड़े पर बैठे गश्त कर रहे थे। यहाँ वहां कुछ प्रेमी जोड़े थे दिख रहे थे जो दिल्ली के लोधी गार्डन (दिल्ली) की तरह शर्म-हया से दूर हटके अपने-अपने प्रेमालाप में मग्न थे। वैसे मैं कभी लोधी गार्डन गया नहीं हूँ और न जाने की इच्छा रखता हूँ।वैसे भी ये प्रेमी जोड़े कुछ भी करे मुझे इससे कोई मतलब नहीं था वो तो दिख गया था इसलिए लिख दिया। अभी तक हम ऊपर किनारे पर ही खड़े थे, क्योंकि यहाँ लहरें इतनी तेज़ थी कि नहा नहीं सकते थे पर कुछ उत्साही लोग यहाँ वहां नहा रहे थे। औरों को नहाते देखकर मेरा मन भी ललचाने लगा और मैं पानी के पास चला गया। पहले तो पानी के थोड़ा नज़दीक गए और खड़े रहे, पानी की लहरें आती और वापस चली जाती। धीरे धीरे हम थोड़ा दूर तक जाने लगे। लहरों का आने जाने का सिलसिला यूँ ही चलता रहा। हम सीपियाँ और मोती चुनने में इतने व्यस्त हो गए थे एक कि एक ऊँची लहर आई और पूरी तरह भिगो कर वापस चली गयी, वो तो गनीमत थी कि कैमरा और मोबाइल मैंने मां के हाथ में दे दिया था नहीं तो नुकसान तो होना पक्का था और इस सफर में एक कैमरे का नुकसान भी हुआ जो आगे के पोस्ट में बताएंगे।

ऐसे ही न जाने कितनी देर हम सब मस्ती के माहौल में डूबे रहे, कभी थोड़ा दूर तक जाते तो लहरों को आता देख फिर भाग कर किनारे पर आ जाते, लहरों के वापस जाने पर लहरों के पीछे पीछे भागते। इसी बीच समंदर के खारे पानी में ही हम सबने नहा भी लिया। समय अपनी गति से बीत रहा था, तभी बेटे ने आवाज़ लगायी, पापाजी 9:30 बजे गए अब चलिए।  9:30  के बारे में सुनते ही लगा कि समय थोड़ा और ठहर जाता तो कितना बढ़िया होता, पर समय किसी के लिए रुका थोड़े ही है जो हमारे लिए ठहरता।  जल्दी से सूखे कपड़े पहने और सामान उठाकर ऑटो की तरफ चल दिया। ऑटो वाला पहले से ही ऑटो में बैठा मेरा इंतज़ार कर रहा था, पर दोनों पीकर टल्ली हो रखा था टल्ली भी इतना कि ऑटो में बैठने का मन नहीं कर रहा था। खैर आधे मन से ऑटो में बैठे और 10 बजे हम फिर से वापस चेन्नई सेंट्रल स्टेशन पहुँच गए। यहाँ आकर मैंने इसे 300 रुपये दिए तो ये 100 रुपए और मांगने लगा। मैंने उसे बताया कि जितना समय तुम लोगों ने दिया था अभी भी उससे 30 मिनट कम है। अब वो 100 से 50 और फिर 10 रुपए तक आ गया था और मना करने पर बदतमीजी पर उतर आया। इतने में एक उत्तर भारतीय व्यक्ति दिख गए तो मैंने उनसे केवल इतना ही कहा कि भाई जी यहाँ के पुलिस का नंबर बता दीजिये ये ऑटो वाला बदतमीजी कर रहा है तो इतना सुनते ही वो ऑटो लेकर रफ्फू-चक्कर हो गया और हम भी अपना सामान लेकर स्टेशन के अंदर दाखिल हो गये और वेटिंग रूम में जाकर आराम फरमाने लगे। अभी भी हमारे पास लगभग 4 घंटे का समय बच रहा था और इतना समय हमारे खाना खाने और आराम करने के लिए काफी था।



अब रही खाने की बात तो मैं तो 2 दिन तक बिना कुछ भी खाये रह सकता हूँ, मेरी पत्नी और माताजी का भी यही हाल है, पर पिताजी और बेटे को खाना खिलाना जरूरी था। दोनों को लेकर मैं स्टेशन से बाहर गया तो कुछ ही दूरी पर कुछ ढाबा है, जहाँ अच्छा तो नहीं पर पेट भरने के लिए खाना मिल जाता है। यहीं पर पिताजी और आदित्य को खाना खिलाकर वापस आया। अब खाना खाने की बारी माताजी, कंचन और मेरा था, खाने में जो मिला उसका नाम सुनकर ही कंचन और माँ ने खाने के लिए जाने से मना कर दिया और घर से ही लाए हुए सत्तू से काम चलाया गया। भर पेट सत्तू घोल कर पीने के बाद हम वहीं वेटिंग हॉल में ही बेडशीट बिछा कर लेट गए और आराम करने लगे। 

अभी के लिए बस इतना ही, इससे आगे का वृतांत अगले पोस्ट में। इससे आगे की यात्रा जो चेन्नई से तिरुपति होते हुए तिरुमला तक की थी, मेरे लिए वो एक मनहूस यात्रा साबित हुई और यात्रा में ऐसा किसी के साथ न हो ऐसी कामना के साथ विदा लेते है और जल्दी ही मिलते हैं अगले पोस्ट के साथ। जो भी गलती हो या सुधार की बात हो कमेंट करके जरूर बताइयेगा।

धन्यवाद


इस यात्रा के अन्य भाग भी अवश्य पढ़ें  

भाग 3 : मरीना बीच, चेन्नई (Marina Beach, Chennai)
भाग 4: चेन्नई से तिरुमला
भाग 5: तिरुपति बालाजी (वेंकटेश्ववर भगवान, तिरुमला) दर्शन
भाग 6: देवी पद्मावती मंदिर (तिरुपति) यात्रा और दर्शन
भाग 7: तिरुपति से चेन्नई होते हुए रामेश्वरम की ट्रेन यात्रा
भाग 8: रामेश्वरम यात्रा (भाग 1) : ज्योतिर्लिंग दर्शन
भाग 9: रामेश्वरम यात्रा (भाग 2): धनुषकोडि बीच और अन्य स्थल
भाग 10: कन्याकुमारी यात्रा (भाग 1) : सनराइज व्यू पॉइंट
भाग 11 : कन्याकुमारी यात्रा (भाग 2) : भगवती अम्मन मंदिर और विवेकानंद रॉक मेमोरियल



आइये अब इस यात्रा के कुछ फोटो देखते हैं :




मरीना बीच पर समुद्र की लहरें 

मरीना बीच पर सड़क और समुद्र के बीच बालू का समुद्र

दूर  समुद्र में शिप 

मरीना बीच पर समुद्र की लहरें

मरीना बीच पर समुद्र की लहरें

मरीना बीच पर समुद्र की लहरें

मरीना बीच पर समुद्र की लहरें

मरीना बीच पर समुद्र की लहरें

मरीना बीच पर समुद्र की लहरें

मैं 

आदित्या, कंचन, माँ और पिताजी 

मैं, कंचन, माँ और पिताजी

मैं और कंचन

मरीना बीच पर समुद्र की लहरें

मरीना बीच पर समुद्र की लहरों को देखता मैं 

दूर दूर तक बस अथाह जल राशि 

मरीना बीच पर समुद्र की लहरें

आदित्या 

दूर समुद्र में शिप 

शांत समंदर 

समंदर में नहाता एक व्यक्ति 

समंदर की लहरें किनारे की तरफ आती हुई 

समंदर की लहरें किनारे की तरफ आती हुई

समंदर की लहरें किनारे की तरफ आती हुई

लहरें वापस जाती हुई 

लहरें तट से टकराने के बाद 

नीला समंदर 

नीला समंदर

मुझे भिगोने के लिए आतुर लहरें 

मरीना बीच के ऊपर से गुजरता हुआ श्रीलंका एयरवेज का विमान 

समंदर में मछुआरे 

और आखिर में भीग ही गए 

इस यात्रा के अन्य भाग भी अवश्य पढ़ें  

भाग 3 : मरीना बीच, चेन्नई (Marina Beach, Chennai)
भाग 4: चेन्नई से तिरुमला
भाग 5: तिरुपति बालाजी (वेंकटेश्ववर भगवान, तिरुमला) दर्शन
भाग 6: देवी पद्मावती मंदिर (तिरुपति) यात्रा और दर्शन
भाग 7: तिरुपति से चेन्नई होते हुए रामेश्वरम की ट्रेन यात्रा
भाग 8: रामेश्वरम यात्रा (भाग 1) : ज्योतिर्लिंग दर्शन
भाग 9: रामेश्वरम यात्रा (भाग 2): धनुषकोडि बीच और अन्य स्थल
भाग 10: कन्याकुमारी यात्रा (भाग 1) : सनराइज व्यू पॉइंट
भाग 11 : कन्याकुमारी यात्रा (भाग 2) : भगवती अम्मन मंदिर और विवेकानंद रॉक मेमोरियल





26 comments:

  1. भाई पहली बार समुद्र यात्रा करने का अलग ही मजा है नदी-नाले तालाब देखकर हमें खुशी मिलती है लेकिन समुद्र देख कर हम आंखें फाड़ कर आश्चर्य से देखते रह जाते हैं आपने चेन्नई पहली बार देखा मैंने केरल का कोवल्लम बीच पहली बार देखा और रही बात हुई आटो वालों की अनजान लोगों को देखते ही ऐसे लुटेरे लगभग हर शहर में मौजूद है।
    सतर्कता ही खतरा टालती हैँ।
    अगले लेख में रहस्यमय घटित होने वाला है।

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    1. धन्यवाद भाई जी! हां पहली बार समुद्र देखने का जो रोमांच होता है उसका वर्णन शब्दों में नहीं किया जा सकता, हां ऑटो वाले का हर जगह एक ही हाल है, दिल्ली में जब नयी दिल्ली से लक्ष्मी नगर का कभी कभी 300 रूपये मांगते है और अंततः 80 रूपये में आते हैं, सबसे अच्छे ऑटो वाले अब तक मुझे त्रिवेंद्रम में मिले

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  2. मरीना बीच भारत का सबसे लंबा बीच तो है पर तैराकी के लिहाज से उतना उपर्युक्त नही है। मेरा देखा हुआ है काफी अच्छा लगता है।

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    1. धन्यवाद हर्षिता जी, मेरे लिए तो ये समुद्र के पहले दर्शन थे, बहुत अच्छा और सुहाना लग रहा था मुझे

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  3. अच्छी खासी जानकारी दी आपने। ये बात भी साबित हो गयी कि हिन्दुस्तान के हर हिस्से में आटो वाले अनजान लोगों को परेशान करते ही हैं।

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    1. हां ऑटो वाले का समूचे देश में यही हाल है, मुझे इतने साल दिल्ली में हो गए फिर भी जहाँ का किराया 80 रूपये है 300 रुपए मांगते हैं और अंततः जाएंगे 80 रूपये में ही

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  4. एक फोटो में add caption दिख रहा है इसे हटा दीजिए।

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  5. चेन्नई की इस यात्रा में मरीना बीच की अच्छी यात्रा रही...फोटो तो समुद्र के एक से एक है....

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    1. आपने अपना कीमती समय देकर मेरे इस पोस्ट को पढ़ा उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद

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  6. मरीना बीच काफी लम्बा है और यहां पर समुंद्र की लहरे भी बहुत तेज होती है। वैसे मैंने भी पहली बार समुंद्र यही इसी बीच पर देखा था। बाकी ऑटो वाले हर शहर में अजनबियों को देखकर ऐसा ही करते है। हमेशा सतर्क रहो। खाने में साऊथ की डिश चैक करते इडली सांभर, डोसा हर जगह मिलता है वो भी केले के के पत्ते पर।

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    1. हां मरीना बीच बहुत ही लम्बा है, और पहली बार समुद्र को देखने का सौभाग्य भी यही पर प्राप्र्त हुआ। हां ऑटो वाले का हर जगह एक ही हल है, इडली सांभर का स्वाद तो ट्रेन में ही ले लिया था

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  7. बहुत बढ़िया विवरण ! आपके साथ हमने भी देख लिया । अगली किश्त का इंतज़ार !

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    1. धन्यवाद आपका, और अगली क़िस्त भी जल्दी ही आपके सामने होगी

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  8. बहुत बढ़िया विवरण ! आपके साथ हमने भी देख लिया । अगली किश्त का इंतज़ार !

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    1. धन्यवाद आपका, और अगली क़िस्त भी जल्दी ही आपके सामने होगी

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  9. अभ्यानद जी अभिनदंन आपका । खाने में दक्षिण का जबाब नही हर शहर में खाने का टेस्ट अलग हे । स्टेशन के बाहर के हॉटेल कामचलाऊ रहते हे। पुरे भारत में दक्षिण का खाना मुझे सबसे अछा लगता हे ।

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    1. नरेंद्र जी धन्यवाद आपका। मैंने खाना स्टेशन के पास ढाबे पर खाया इसलिए मुझे बढ़िया खाना नहीं मिला। अनजान शहर में हम कहाँ कहाँ जाते बढ़िया खाने के तलाश में। हर शहर में खाने के लिए कुछ न कुछ विशेष जरूर मिलता है और उससे ही उसकी पहचान होती है

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  10. मरीना बीच पर समुद्र की लहरों के साथ हिलोरे लेना अच्छा लगा। यात्रा वृतांत और तस्वीरों को देख मन में उत्सुक जागी घूमने-फिरने की, लेकिन फिलहाल तो बारिश के बूंदों और आस-पास नदी-नालों को देख मन को समझा रहे हैं। नयी जगह में ठगे जाने की समस्या सभी जगह है, इसलिए सतर्कता से ही बचा जा सकता है, फिर भी यदि ठगे भी गए तो यात्रा अच्छी रही तो ज्यादा अफ़सोस नहीं रहता।
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति

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    1. आपका धन्यवाद और अभिनन्दन कविता जी, पहली बार समुद्र क्या कुछ भी देखने का जो रोमांच होता है वो शब्दों में नहीं लिखा जा सकता , नयी जगह जाने वाले के लिए हर जगह ठगे जाने का भय बना ही रहता है।

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  11. ऑटो वालो की तरह की बदमाशियां अक्सर सभी शहरों में सुनने को मिल जाती है और हमको सबक भी की आगे किस तरह से इनसे निपटना है । ये लोग पर्यटक देखे नही की चल पड़े लूटने । इस मामले में आगरा भी कम नही है ।

    मरीना बीच के बारे में काफी अच्छा लिखा आपने , पहली बार समुन्द्र देखने का आपके अहसास को समझ सकता हूँ क्योंकि मैंने पहली बार समुन्द्र कोणार्क में देखा था ।

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    1. सुमधुर धन्यवाद आपका, जी पहले बार समुद्र को देखने जो रोमांच होता है उसका बयान शब्दों में नहीं किया जा सकता, कोणार्क जाने की इच्छा मेरी भी है देखिए कब पूरा होता है।

      ऑटो वाले सब जगह एक जैसे ही हैं, जब दिल्ली में इतने सालों से रह रहा हूँ और हर जगह की जानकारी है फिर भी ऑटो वाले ठगने की फ़िराक में रहते हैं तो अनजान लोगों का तो पता ही नहीं। इसी यात्रा में जब निजामुद्दीन स्टेशन से मदर डेरी तक आने का मुझे पहले तो 300 रूपये माँगा फिर आया 70 रूपये में।

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  12. मरीना बीच पर आप और समय बिता सकते थे। बाकी फोटो देख दिल खुश हो गया। ...यात्रा बहुत बढ़िया चल रही है।

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    1. हाँ मरीना बीच पर थोड़ा और समय बिताना अच्छा रहता पर अनजान प्रदेश था इसलिए थोड़ी चूक हो गई

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  13. bahut sundar vritant. Man bahut prasann hua. Aise hi likhte rahiye.

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    1. ब्लाॅग पर आने के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद।

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