बदरीनाथ से माणा गांव
माणा गांव एक नजर में
बदरीनाथ से तीन किमी आगे भारत का आखिरी गांव माणा सांस्कृतिक विरासत और अपनी अनूठी परंपराओं के लिए खासा महत्वपूर्ण है। लेकिन इससे भी ज्यादा यहां की प्राकृतिक सुंदरता देश विदेश के पर्यटकों के अपनी ओर खींचती है। मांणा गांव समुद्र तल से 10,200 फुट की ऊंचाई पर बसा है। भारत-तिब्बत सीमा से लगे यह गांव अपनी अनूठी परम्पराओं के लिए भी खासा मशहूर है। यहां रडंपा जनजाति के लोग निवास करते हैं। पहले बद्रीनाथ से कुछ ही दूर गुप्त गंगा और अलकनंदा के संगम पर स्थित इस गांव के बारे में लोग बहुत कम जानते थे लेकिन अब सरकार ने यहां तक पक्की सड़क बना दी है। इससे यहां पर्यटक आसानी से आ जा सकते हैं, और इनकी संख्या भी पहले की तुलना में अब काफी बढ़ गई है। भारत की उत्तरी सीमा पर स्थित इस गांव के आसपास कई दर्शनीय स्थल हैं जिनमें व्यास गुफा, गणेश गुफा, सरस्वती मन्दिर, भीम पुल, वसुधारा आदि मुख्य हैं। मांणा में कड़ाके की सर्दी पड़ती है। छह महीने तक यह क्षेत्र केवल बर्फ से ही ढका रहता है। यही कारण है कि यहां कि पर्वत चोटियां बिल्कुल खड़ी और खुष्क हैं। सर्दियां शुरु होने से पहले यहां रहने वाले ग्रामीण नीचे स्थित चमोली जिले के गांवों में अपना बसेरा करते हैं। शायद ही कोई ऐसा पर्यटक होगा जो बद्रीनाथ धाम से 3 किलोमीटर आगे इस दुकान पर लगे ‘भारत की आखिरी चाय की दुकान’ के बोर्ड के सामने फोटो न खिंचवाता हो. इस बोर्ड पर अंग्रेजी और हिन्दी सहित 10 भारतीय भाषाओं में लिखा है ‘भारत की आखिरी चाय की दुकान में आपका हार्दिक स्वागत है'.
बदरीनाथ से तीन किमी आगे भारत का आखिरी गांव माणा सांस्कृतिक विरासत और अपनी अनूठी परंपराओं के लिए खासा महत्वपूर्ण है। लेकिन इससे भी ज्यादा यहां की प्राकृतिक सुंदरता देश विदेश के पर्यटकों के अपनी ओर खींचती है। मांणा गांव समुद्र तल से 10,200 फुट की ऊंचाई पर बसा है। भारत-तिब्बत सीमा से लगे यह गांव अपनी अनूठी परम्पराओं के लिए भी खासा मशहूर है। यहां रडंपा जनजाति के लोग निवास करते हैं। पहले बद्रीनाथ से कुछ ही दूर गुप्त गंगा और अलकनंदा के संगम पर स्थित इस गांव के बारे में लोग बहुत कम जानते थे लेकिन अब सरकार ने यहां तक पक्की सड़क बना दी है। इससे यहां पर्यटक आसानी से आ जा सकते हैं, और इनकी संख्या भी पहले की तुलना में अब काफी बढ़ गई है। भारत की उत्तरी सीमा पर स्थित इस गांव के आसपास कई दर्शनीय स्थल हैं जिनमें व्यास गुफा, गणेश गुफा, सरस्वती मन्दिर, भीम पुल, वसुधारा आदि मुख्य हैं। मांणा में कड़ाके की सर्दी पड़ती है। छह महीने तक यह क्षेत्र केवल बर्फ से ही ढका रहता है। यही कारण है कि यहां कि पर्वत चोटियां बिल्कुल खड़ी और खुष्क हैं। सर्दियां शुरु होने से पहले यहां रहने वाले ग्रामीण नीचे स्थित चमोली जिले के गांवों में अपना बसेरा करते हैं। शायद ही कोई ऐसा पर्यटक होगा जो बद्रीनाथ धाम से 3 किलोमीटर आगे इस दुकान पर लगे ‘भारत की आखिरी चाय की दुकान’ के बोर्ड के सामने फोटो न खिंचवाता हो. इस बोर्ड पर अंग्रेजी और हिन्दी सहित 10 भारतीय भाषाओं में लिखा है ‘भारत की आखिरी चाय की दुकान में आपका हार्दिक स्वागत है'.