सूरज और बादल (Sun and Cloud)
सूर्योदय और सूर्यास्त नित्य-नूतन कवित्व की अनन्तता है। इन उभय बेलाओं की शोभा क्षण-क्षण बदलती रहती है। कभी ये बादलों की सनक और स्वभाव के अनुसार बदलती है, तो कभी देश-देशांतर के अनुरूप बदलती रहती है, कभी ऋतुओं के अनुरूप बदलती रहती है।
और बादल? बादल का क्या वो तो है ही उस अनन्त आकाश के चिर-प्रवासी यात्राी। और वैसे भी बादल का क्या कहना वो होते ही हैं आवारा और पागल। कब किधर और कहाँ पहुँच जाए ये खुद उनको भी पता नहीं है क्योंकि उनकी यह यात्रा हवाओं के वेग और दिशा पर जो निर्भर करती है।
और आकाश? आकाश का क्या वो कभी बदलता नहीं, वह जड़ित है, वह जंगम है, वह स्थावर है। बस बादलों की लीलाओं के कारण ही वो हमें अपना भिन्न-भिन्न रूप दिखलाता रहता है।