tag:blogger.com,1999:blog-7753855755940642008.post356970970393030705..comments2024-03-15T12:43:08.105+05:30Comments on राही चलता जा ... मंजिल मिलेगी जरूर: मैं और मेरी साइकिल (Main aur Meri Cycle)Abhyanand Sinhahttp://www.blogger.com/profile/01204471317454601074noreply@blogger.comBlogger26125tag:blogger.com,1999:blog-7753855755940642008.post-78467738410954775952018-11-23T20:29:09.918+05:302018-11-23T20:29:09.918+05:30अनित जी, पहले तो आपको ढेर सारा धन्यवाद। हम भी सीधे...अनित जी, पहले तो आपको ढेर सारा धन्यवाद। हम भी सीधे सड़क पर ही चलाते जाते थे जहां मुड़ना होता था वहां साथी सब मिलकर उतारते थे फिर वापस आते थे। हमने तो बड़ी वाली साइकिल से ही सीखा जब आठवीं में था मैं भी। और उसी साइकिल से दौड़ता रहा था, फिर दिल्ली में भी खूब साइकिल चलाकर ड्यूटी किया। आपके पंक्चर बनवाने वाली बात ने मुझे भी खूब हंसाया।Abhyanand Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01204471317454601074noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753855755940642008.post-51506775141996744382018-11-23T11:47:46.425+05:302018-11-23T11:47:46.425+05:30बहुत बहुत धन्यवाद आपका, साइकिल की यादें तो हर किसी...बहुत बहुत धन्यवाद आपका, साइकिल की यादें तो हर किसी के जीवन से जुड़ी है। मेरा सौभाग्य कि आपने मेरे लेख को पढ़ा, एक और बार धन्यवाद स्वीकार कीजिए।Abhyanand Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01204471317454601074noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753855755940642008.post-4089391525146341272018-11-22T22:40:29.099+05:302018-11-22T22:40:29.099+05:30आपने तो पूरा साईकिल पुराण लिख डाला अभ्यानंद जी वाक...आपने तो पूरा साईकिल पुराण लिख डाला अभ्यानंद जी वाकई मे मज़ा आ गया। इस टॉपिक को लिखा तो याद गया के बचपन में हमने कैसे साइकिल सीखी। फिर किसी दिन आपसे साझा करेंगे। बहुत रोचक लेख।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753855755940642008.post-89196868496427062342018-11-22T22:37:27.970+05:302018-11-22T22:37:27.970+05:30मुझे आज भी याद है, जब पहली बार साईकल चलाई तो सिर्फ...मुझे आज भी याद है, जब पहली बार साईकल चलाई तो सिर्फ सीधा ही चला पाया। हैंडल मोड़ ही नही पा रहा था। हमारे यहाँ एटलस की बड़ी वाली साईकल थी तो उससे सिख पाना मुमकिन नही था। जब 8वी मे आया तब एक दोस्त की साईकल से सीखी। उसके बाद हीरो की नई साईकल पिताजी ने दिलवाई। बहुत बार गिरे भी। साईकल हमेशा संभाल के रखा। एक बार आगे वाली पहिये की हवा निकल गयी थी, पंचर वाले के दुकान तक साईकल का आगे वाला पहिया उठा उठा के गया था ताकि अगर पंचर हुआ होगा तो ज्यादा नुकसान ना हो ��। Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/18065648550129746164noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753855755940642008.post-56726064893678127272018-11-22T13:15:51.597+05:302018-11-22T13:15:51.597+05:30😂😂😂😂😂😂Abhyanand Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01204471317454601074noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753855755940642008.post-50315667989832310792018-11-22T13:07:24.207+05:302018-11-22T13:07:24.207+05:30😂😂😂🤣😂😂😂🤣MAHESH CHANDRA PALIWALhttps://www.blogger.com/profile/05222819520296376252noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753855755940642008.post-24631289764187254522018-10-29T16:36:37.589+05:302018-10-29T16:36:37.589+05:30पहले तो आपको सुमधुर प्यारा प्यारा ढेर सारा धन्यवाद...पहले तो आपको सुमधुर प्यारा प्यारा ढेर सारा धन्यवाद।<br />बिल्कुल सही कहा आपने साइकिल खून मांगती और ले भी लेती है चाहे हम नहीं भी देना चाहे। एक्सपर्ट तो बन गए पर उससे पहले जो मेरा हाल हुआ वो भी आपने देखा ही, इससे भी ज्यादा वो घटना याद आती है जब हमने पहली बार पटना में साइकिल चलाया था।Abhyanand Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01204471317454601074noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753855755940642008.post-76929131751308637242018-10-29T15:43:13.413+05:302018-10-29T15:43:13.413+05:30साइकिल तो खून मांगती ही है और ले भी लेती है ये एक ...साइकिल तो खून मांगती ही है और ले भी लेती है ये एक अटल सत्य है। चलो कोई बात नहीं खून तो और बन जाएगा साइकिल चलाने के तो एक्सपर्ट बन ही गए। हा हा हा हा हाKulwant Singhhttps://www.blogger.com/profile/08705511406311708686noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753855755940642008.post-39537588083689121312018-05-30T11:33:51.793+05:302018-05-30T11:33:51.793+05:30बहुत सारा धन्यवाद सहगल साहब, ये बचपन की यादें तो ह...बहुत सारा धन्यवाद सहगल साहब, ये बचपन की यादें तो हर किसी के जीवन से जुड़ी है।Abhyanand Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01204471317454601074noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753855755940642008.post-24469769080245228262018-05-28T14:48:15.518+05:302018-05-28T14:48:15.518+05:30शानदार बचपन की यादें . ये साइकल के किस्से तो सबसे ...शानदार बचपन की यादें . ये साइकल के किस्से तो सबसे जुड़े हुई हैं .Naresh Sehgalhttps://www.blogger.com/profile/14844432804042288003noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753855755940642008.post-21406186600400133832018-05-27T18:27:53.691+05:302018-05-27T18:27:53.691+05:30बहुत बहुत धन्यवाद अर्जुन जी। यहां तक आने और पढ़ने ...बहुत बहुत धन्यवाद अर्जुन जी। यहां तक आने और पढ़ने और कमेंट के लिए धन्यवाद। बचपन के दिन भी क्या दिन होते थे, न कोई चिंता न कोई फिकर बस अपनी ही मस्ती में उड़ते चले जाते थे। मन के आकाश में सपनों के पंखों से न जाने कहां तक उड़ते थे।Abhyanand Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01204471317454601074noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753855755940642008.post-73937838888753089562018-05-17T16:37:44.272+05:302018-05-17T16:37:44.272+05:30बहुत बढ़िया सर जी आपके इस लेख ने हमारे बचपन की याद...बहुत बढ़िया सर जी आपके इस लेख ने हमारे बचपन की याद ताजा कर दी। मैं भी बचपन में पापाजी से साइकिल दिलाने की जिद करता था मगर पापाजी हर बार मेरी बात टालते हुए कहते थे कि पहले पुरानी साइकिल से चलाना सीखो, नहीं तो नई साइकिल टूट जाएगी। घर में बड़ा होने के कारण कोई सिखाने वाला नहीं था। तो आपकी तरह हमें भी अपने मित्रों की मदद लेनी पड़ी। पुरानी साइकिल तो थी नहीं तो उस समय हमें 2 रुपये प्रति घंटे के हिसाब से साइकिल किराए पर मिलती थी, बस ऐसे ही हमने भी साइकिल चलाना सीखा।<br />धन्यवाद आपका सर जी हमारी पुरानी यादें ताजा कराने के लिए। <br /> <br /> और हाँ सलाम है आपकी साइकिल को जो खुद तो शहीद हो गई मगर आपको आपका विमान उड़ाना सिखा गई। ARJUN KUMARhttps://www.blogger.com/profile/14597662941060900951noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753855755940642008.post-15839607914422269682018-05-17T10:54:56.242+05:302018-05-17T10:54:56.242+05:30मनीष जी बहुत बहुत धन्यवाद आपका यहां तक आने के लिए।...मनीष जी बहुत बहुत धन्यवाद आपका यहां तक आने के लिए। जयश्री ने आपको मेरा ये लेख पढ़ने के लिए कहा ये मेरे लिए बहुत ही गर्वानुभूति की बात है, चाहे एक लेख के लिए उन्होंने आपको इसे पढ़ने के लिए कहा। वो दिन भी क्या दिन होते थे जब हम छोटे थे, किसी छोटी सी चीज को पाने के लिए कितना इंतजार करते थे, कितने आरजू मिन्नत के बाद जब वो चीज हासिल होती थी तो खुशियां सातवें आसमान के भी ऊपर पहुंच जाती थी। आप यहां तक आए मेरा लेख पढ़ा आपको खुशी मिले ये मेरे लिए बहुत ही खुशी की बात है। आपको बहुत बहुत धन्यवाद।Abhyanand Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01204471317454601074noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753855755940642008.post-5796991901672789882018-05-17T10:44:25.104+05:302018-05-17T10:44:25.104+05:30बहुत बहुत धन्यवाद यहां तक आने और पढ़ने और उसके बाद...बहुत बहुत धन्यवाद यहां तक आने और पढ़ने और उसके बाद टिप्पणी करने के लिए। स्कूल वाली साइकिल की सवारी किसी लेखक की लिखी हुई थी तो रोचक होगी, पर मेरी कहानी तो बस अपने अनुभव को लिखा हुआ है आपको अच्छा लगा इसके लिए धन्यवाद। देर मत कीजिए इस बार साइकिल खरीद कर उससे बाबा के दर्शन कीजिए गुप्त धाम जाकर साइकिल से।Abhyanand Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01204471317454601074noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753855755940642008.post-27155942116179737212018-05-17T10:36:48.953+05:302018-05-17T10:36:48.953+05:30बहुत बहुत धन्यवाद वसंत भाई। बचपन के वो दिन भी कितन...बहुत बहुत धन्यवाद वसंत भाई। बचपन के वो दिन भी कितने सुहाने होते थे, आज तो बचपन न जाने कहां खो गया आजकल के बच्चों का।Abhyanand Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01204471317454601074noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753855755940642008.post-13347185588033939882018-05-17T09:29:02.471+05:302018-05-17T09:29:02.471+05:30व्वा क्या बात है सरजी आपके साथ हमभी आज बचपन मे लोट...व्वा क्या बात है सरजी आपके साथ हमभी आज बचपन मे लोट के आ गए,<br />ओ भी क्या दिन थे धन्यवाद सर जी याद दिलाने के लिएVasant patilhttps://www.blogger.com/profile/11840153129389016767noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753855755940642008.post-91158233853298333082018-05-16T21:51:42.612+05:302018-05-16T21:51:42.612+05:30एक साईकिल की सवारी स्कूल में पढ़ी दूसरी यहाँ।पहली क...एक साईकिल की सवारी स्कूल में पढ़ी दूसरी यहाँ।पहली के वक्त साईकिल चलाने की इच्छा होती थी।दूसरी के पढने के वक्त चलानी आती है पर साईकिल नहीं।पर पढ़ते पढ़ते साईकिल की सवारी आज पुनः हो गई और सच मे उतना ही मजा आया जब पहली बार आया था। मजा आ गया।aiemerehamsafarhttps://www.blogger.com/profile/15954684816546947575noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753855755940642008.post-63782365278130979892018-05-16T18:28:28.219+05:302018-05-16T18:28:28.219+05:30Sinhaji, Jaishree recommended this article to me. ...Sinhaji, Jaishree recommended this article to me. Jindagi ki mashroofiyat mein, she helps me to read something really good which she comes across. Majja aa gaya. Ek baar padhne laga to chhoda hi nahi gaya. Woh bhi ek daur tha chhoti chhoti kushyein aur unn kushyein mein puri duniya kaa sama jana.<br /><br />It also reminded me that my neighbour has made an award winning documentary film on how the cycles gifted to women of several villages by an NGO or government changed their life. So this humble vehicle is still making a difference in life of many :-)<br /><br />Thanks again for sharing in such a flowing manner.Manish Khamesrahttp://www.manishjaishree.com/noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753855755940642008.post-39089491951534490662018-05-16T14:39:35.189+05:302018-05-16T14:39:35.189+05:30बहुत सारा धन्यवाद आपको। साइकिल पुराणः संपन्नः भवति...बहुत सारा धन्यवाद आपको। साइकिल पुराणः संपन्नः भवति।<br />वैसे ये तो हर किसी के साथ हुआ होगा, आपके साथ भी और दूसरे लोगों के साथ ही। सबका बचपन तो ऐसे ही गुजरा है।<br />आप भी लिख दीजिए बड़ा सा साइकिल कथा, हमें इंतजार रहेगा।Abhyanand Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01204471317454601074noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753855755940642008.post-48005982353146954832018-05-16T14:36:21.162+05:302018-05-16T14:36:21.162+05:30 अथ साइकिल प्रेम गाथा सम्प्पन्न .......
बढ़िया रह... अथ साइकिल प्रेम गाथा सम्प्पन्न ....... <br /><br />बढ़िया रहा आपका साईकिल विवरण और आपने हिम्मत भी खूब की ...<br /><br />सारे रोचक वर्णन आपकी ही जिन्दगी में हुए है क्या <br /><br />Ritesh Guptahttps://www.blogger.com/profile/08778571076761815036noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753855755940642008.post-4227857536108999512018-05-16T14:20:07.769+05:302018-05-16T14:20:07.769+05:30बहुत बहुत धन्यवाद विकास जी। वाह क्या बात कहा आपने ...बहुत बहुत धन्यवाद विकास जी। वाह क्या बात कहा आपने साइकिल को जन्नत मिली और वहां वो बेखौफ सड़कों पर दौड़ रही होगी।Abhyanand Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01204471317454601074noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753855755940642008.post-80480827753330717252018-05-16T14:15:27.414+05:302018-05-16T14:15:27.414+05:30रोचक वृत्तांत। साइकिल को जन्नत नसीब हुई होगी और वो...रोचक वृत्तांत। साइकिल को जन्नत नसीब हुई होगी और वो उस जन्नत में मौजूद सड़कों पर बिना एक्सीडेंट और टूटने फूटने के डर के बेख़ौफ़ चली जा रही होगी मैं यही उम्मीद करता हूँ।विकास नैनवाल 'अंजान'https://www.blogger.com/profile/09261581004081485805noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753855755940642008.post-75618906685639422712018-05-16T12:47:15.688+05:302018-05-16T12:47:15.688+05:30आपको ढेर सारा धन्यवाद मैम। आपका मेरे ब्लाॅग पर आना...आपको ढेर सारा धन्यवाद मैम। आपका मेरे ब्लाॅग पर आना ही बहुत बड़ी बात है, आपके कमेंट देखकर मेरा मन मयूर बिल्कुल झूम उठा।Abhyanand Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01204471317454601074noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753855755940642008.post-70455328973796065592018-05-16T12:42:42.305+05:302018-05-16T12:42:42.305+05:30gudguda diya aapke lekh ne. aise kisse ham sabhi k...gudguda diya aapke lekh ne. aise kisse ham sabhi ki pitari me hain, lekin is lay me likhe nahin ja paate. bahut hi umda lekh.Jaishreehttp://www.manishjaishree.com/noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753855755940642008.post-45615868814176682282018-05-16T11:29:28.929+05:302018-05-16T11:29:28.929+05:30बहुत सारा धन्यवाद आपकोबहुत सारा धन्यवाद आपकोAbhyanand Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01204471317454601074noreply@blogger.com